उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को मिली केंद्र से सैद्धांतिक स्वीकृति
लगभग 1203 करोड़ रूपए की है अनुमानित लागत
केंद्र सरकार ने लगभग 1203 करोड़ रूपए के उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। सिंचाई विभाग द्वारा उत्तराखण्ड वाटर मेनेजमेंट प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसकी अनुमानित लागत 1203 करोड़ रूपए है। नीति आयोग द्वारा ‘‘जलसुरक्षा के लिए हिमालय के जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन’’ पर प्रकाशित रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा गया है। प्रोजेक्ट की प्री-फिजीबिलीटी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। इसके तहत प्रस्तावित बांध, नहरों व तालाबों के निर्माण की डीपीआर बनाई जा रही है।
जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन, तालाबों के निर्माण और नहरों के पुनरूद्धार पर फोकस
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सामने प्रोजेक्ट का प्रस्तुतिकरण किया गया। बताया गया कि प्रस्तावित ‘उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट’’ के तहत जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन, जलाशयों से गाद निकालने, तालाबों के निर्माण और नहरों के पुनरूद्धार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर गम्भीरता और समयबद्धता से काम करने के निर्देश देते हुए कहा कि इससे प्रदेश को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिलने के साथ ही सकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी होंगे। पर्यावरण और वन्य जीवन के संरक्षण में भी यह प्रोजेक्ट सहायक रहेगा। परियोजना गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य, साफ पानी और स्वच्छता, क्लाईमेट एक्शन और भूमि पर जीवन जैसे स्थायी विकास लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक होगी।
जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन के तहत जलस्त्रोतों की मैपिंग और स्प्रिंग शैड मैनेजमेंट किया जाएगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाईड्रोलॉजी रूड़की द्वारा लघु चैक डैम बनाने, ट्रेंचेज को रिचार्ज करने और कैचमेंट एरिया में पौधारोपण का सुझाव दिया गया है। स्त्रोतों के पुनर्जीवन पर लगभग 90 करोड़ रूपए की लागत आएगी।
मौजूदा नहरों के पुनरूद्धार के तहत 382 लघु सिंचाई की नहरों/गूलों की मरम्मत के लिए 95 योजनाओं का काम लिया गया है। इन 95 ग्रेविटी स्किमों के पुनरूद्धार व नवीनीकरण पर 324 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित है।