पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 23वीं बैठक में लिए गये कुछ महत्वपूर्ण निर्णय
देहरादून: शुक्रवार को गौरा देवी पर्यावरण भवन में अध्यक्ष, उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में बोर्ड की 23वीं बैठक आयोजित हुयी थी।
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक जय राज, सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि एवं बोर्ड के सदस्यगण व बोर्ड के अधिकारी उपस्थित थे। बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में स्थापित होने वाले पिरूल आधारित इकाईयों के स्थापित होने की तिथि से अग्रेतर 5 वर्ष के लिये स्थापनार्थ सहमति एवं संचालनार्थ सहमति शुल्क में शत प्रतिशत छूट दी जायेगी।
अग्रेतर 5 वर्ष के लिये शत प्रतिशत छूट
राज्य में संचालित कॉमन एसटीपी द्वारा स्थापनार्थ एवं संचालनार्थ सहमति शुल्क में अग्रेतर 5 वर्ष के लिये शत प्रतिशत छूट दी जायेगी। इसके साथ-साथ उनके द्वारा देय पूर्व वर्षों के समस्त सहमति शुल्क को भी माफ किया गया।राज्य में नगर निकायों द्वारा स्थापित होने वाले पशुवधशाला को भी स्थापनार्थ एवं संचालनार्थ सहमति शुल्क में अग्रेतर 5 वर्ष के लिये शत प्रतिशत छूट दिये जाने का भी निर्णय लिया गया।
बोर्ड की स्थापनार्थ एवं संचालनार्थ सहमति
बैठक में राज्य बोर्ड गठन के उपरान्त आज की तिथि तक स्थापित समस्त सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों जिनके द्वारा विभिन्न कारणों से बोर्ड की स्थापनार्थ एवं संचालनार्थ सहमति प्राप्त नही की गयी है, से विलम्ब शुल्क नही लिया जायेगा एवं उन उद्योगों को यह सुविधा 31 मार्च 2020 तक स्थापनार्थ एवं संचालनार्थ सहमति हेतु बोर्ड में आवेदन करने पर ही अनुमन्य होगी।
स्टेट इनावयरमेंट प्लान
इसके साथ-साथ यह निर्णय लिया गया कि बोर्ड गठन से पूर्व स्थापित समस्त सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिये आवेदन की तिथि 31 दिसम्बर, 2019 से बढ़ाकर 31 मार्च 2020 कर दी गयी है। बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि प्रदेश में जी.बी.पन्त इन्सटीट्यूट ऑफ़ इनवायरमेन्ट, कोसी कटारमल के माध्यम से स्टेट इनावयरमेंट प्लान तैयार किया जायेगा।
एन.ए.बी.एल प्रमाणित प्रयोगशाला
उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय में अत्याधुनिक (एन.ए.बी.एल प्रमाणित) प्रयोगशाला स्थापित की जायेगी, जिसमें जल से सम्बन्धित 56 परिचालकों पर विश्लेषण किया जायेगा।
जल से सम्बन्धित 36 परिचालकों का विश्लेषण
इसके साथ-साथ काशीपुर एवं रूड़की में भी आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की जायेगी, जिसमें जल से सम्बन्धित 36 परिचालकों का विश्लेषण किया जायेगा। इसके अतिरिक्त बैठक में बोर्ड द्वारा पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति आंकलन हेतु सूचक संकेतकों को भी निर्धारित किया गया।