राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उठाया बड़ा मुद्दा
नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की हो व्यवस्था : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में प्रतिभाग करते हुए नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति देने व ठोस अपशिष्ठ निस्तारण की व्यवस्था किए जाने का सुझाव दिया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आगामी कुम्भ में स्थाई व अस्थाई प्रकृति के कार्यों के लिए सहायता का भी अनुरोध किया। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
उत्तराखण्ड में स्वीकृत 19 योजनाओं में से 10 पूर्ण, 135 में से 113 नाले टैप किए गए
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत किए गए कार्यों के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे के तहत उत्तराखण्ड में प्राथमिकता के चिन्हित 15 नगरों के लिए स्वीकृत 19 योजनाओं में से 10 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 05 योजनाएं दिसम्बर 2019 तक, 02 योजनाएं फरवरी 2020 तक, 01 योजना जून 2020 तक व 01 योजना नवम्बर 2020 तक पूर्ण कर ली जाएंगी।
प्राथमिकता के इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 70 नालें एनजीबीआरए में स्वीकृत योजनाओं में टैप किए जा चुके हैं। शेष 65 नालों में से 43 नालों को नमामि गंगे में स्वीकृत योजनाओं में टैप कर लिया गया है। शेष 22 नालों को भी जल्द ही टैप कर लिया जाएगा। गंगा की मुख्य धारा के अतिरिक्त दो अन्य सहायक नदियों रिस्पना व कोसी के तट पर स्थित नगरों, देहरादून और रामनगर के लिए भी 02 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इन्हें भी नवम्बर 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।
परिशोधित जल का उपयोग कृषि सिंचाई में, स्लज का खाद के लिए निशुल्क वितरण
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरिद्वार नगर के जगजीतपुर एसटीपी से निकल रहे 45 एमएलडी परिशोधित जल का पूरा उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जा रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश व मुनि की रेती में समस्त उपचारित जल का उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जाएगा। एसटीपी से निकलने वाले स्लज को भी कृषि कार्यों में खाद के रूप में निशुल्क वितरित किया जा रहा है।