बढ़ जाएगा आपके फोन और इंटरनेट का बिल, बड़ी टेलीकॉम कंपनियों ने की घोषणा
कुछ दिनों से ऐसा देखा जा रहा है कि सभी टेलीकॉम कंपनियां आगे निकलने की होड़ में लगी हुई हैं। आगे निकलने की होड़ में टेलीकॉम कंपनियां लगातार डेटा को काफी सस्ता कर रही हैं इस समय ये देखा जा रहा है कि घटी हुई दरों पर कंपनियों को चला पाना आसान नहीं है। जिसके कारण वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल जैसी बड़ी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने सभी टैरिफ को बढ़ाने की घोषणा कर दी है।
अब कॉलिंग के साथ डेटा भी महंगा
अब कॉलिंग के साथ डेटा भी महंगा हो जाएगा। वोडाफोन आइडिया को दूसरी तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। सितंबर माह में कंपनी के 25.7 लाख ग्राहक कम हो गए हैं। इन तीनों कंपनियों ने टैरिफ रेट बढ़ाने के पीछे जो कारण बताया है वो AGR है। जितना एजीआर टेलीकॉम कंपनियां सरकार को चुकाती हैं उसमें आधे से अधिक हिस्सा वोडाफोन आइडिया का है।
1 लाख कर्मचारी बेरोजगार हो सकते
BSNL की बात की जाए तो इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी की हालत काफी ख़राब होती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से बीएसएनल को बेचने की तैयारी की जा रही है। कर्मचारियों की छटनी पहले से ही शुरू की जा चुकी है। यदि सरकार 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज़ नहीं चुकाती है तो बीएसएनल के 1 लाख कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। एक रिपोर्ट के हिसाब से पेंडिंग पेमेंट के कारण पूरे सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
टेक्नॉलजी के साथ ज्यादा पूंजी की आवश्यकता
Vodafone-Idea ने बतया है कि अपने को वर्ल्ड क्लास डिजिटल एक्सपीरियंस देने के लिए वोडाफोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से बढ़ाने वाली है। एयरटेल ने बताया है कि दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से बदलती टेक्नॉलजी के साथ ज्यादा पूंजी की आवश्यकता होती है।जिसमें लगातार निवेश की आवश्यकता होती है। इस वजह से यह बहुत जरूरी है कि डिजिटल इंडिया के विचार का समर्थन करने के लिए उद्योग को व्यवहारिक बनाए रखा जाए। ऐसा देखते हुए एयरटेल दिसंबर के माह में उचित कीमत बढ़ाएगी।
टैरिफ रेट किये जाएंगे रिवाइज
1 दिसंबर से भारत की सभी टेलीकॉम कंपनियों के टैरिफ रेट रिवाइज किये जाएंगे। इसमें कॉलिंग को तो महंगा किया ही जाएगा। साथ साथ डेटा भी महंगा कर दिया जाएगा। एक बार में कंपनियां ग्राहकों को अधिक बोझ नहीं देंगी, पर टेलीकॉम सेक्टर में जिस प्रकार का संकट चल रहा है इसे देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले दौर से उम्मीद लगायी जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हित में फैसला लेते हुए कंपनियों को AGR चुकाने का आदेश दे दिया है जो 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक है।