Govardhan Puja : जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व, इतिहास और विधि
इस वर्ष गोवर्धन पूजा 15 और 16 नवंबर को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन गाय की पूजा की जाती और गाय पालक को उपहार और अन्न वस्त्र आदि दिया जाता है। वृंदावन और मथुरा सहित देश के कई स्थानों में गोवर्धन पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। अन्नकूट शब्द का अर्थ है अन्न का समूह। इस दिन कई तरह के पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाता है।
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जानिए क्यों होती है गोवर्धन पूजा
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों का संरक्षण किया। जिससे इंद्र का अभिमान चूर-चूर हो गया और कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा के महत्व को बताया। गोवर्धन पूजा से पहले ब्रज के लोग अच्छी वर्षा के लिए इंद्र की पूजा करते थे। जब्कि कृष्ण जी का मानना था कि उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे पशुओं के लिए चारा मिलता है और यही पर्वत बादलों को रोककर वर्षा कराता है। जिससे कृषि उन्नत होती है। श्री कृष्ण ने कहा कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग लगाकर गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन बनाया जाता है अन्नकूट
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाकर गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। एक मान्यता ये भी है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन अन्नकूट इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इंद्र के कोप से गोकुलवासियों को बचाने के लिए जब कान्हा ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया तब गोकुल वासियों ने 56 भोग बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया था। इससे श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर गोकुल वासियों को आशीर्वाद दिया कि वह उनकी रक्षा करेंगे।
इस प्रकार करें गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा के दिन लोग अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से एक पर्वत बनाते हैं जिसे जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही अर्पित कर तथा तेल का दीपक जलाकर उसकी पूजा की जाती है। इसके बाद गोबर से बने इस पर्वत की परिक्रमा लगाई जाती है। इसके बाद ब्रज के देवता गिरिराज भगवान को खुश करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
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