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नई थाली में पुराना पकवान परोसने जैसा है गानों का रीमेक बनाना

गानों का रीमेक तो आजकल आम बात है। हाल ही में आई कई बॉलीवुड मूवीज़ में पुराने गानों का रीमेक किया गया है। रीमेक सांग्स में ज्यादा शोर शराबा और बीट्स है, जिसकी वजह से हमारा यूथ उन गानों को ज्यादा पसंद कर रहा है।

रीमेक सांग्स ज्यादा पॉपुलर भी हो रहे हैं। अगर हम उनकी नए गानों से तुलना करते हैं, तो यह बात उठती है की रीमेक की जरुरत क्यों पड़ रही है ? क्या कलाकारों और गायकों के पास कुछ नया नहीं है क्या करना को, जो इन लोगों को रीमेक का सहारा लेना पड़ रहा है। रीमेक सांग्स में रैप और रीमिक्स को ऐड कर रहे हैं और उसको रीमेक बताया जा रहा है।

इस बीच कई गाने आए जैसे कि “ओ साकी साकी ” जो की संजय दत्त की फिल्म मुसाफिर का गाना है, उसका रीमेक “बाटला हाउस ” में लिया गया हैं। सॉन्ग “आँख मारे ” सिम्बा फिल्म का गाना जो की फिल्म तेरे मेरे सपने से लिया गया है।

कई पुराने गाने हैं जिनका रीमेक बनाया गया है, जैसे – कोका कोला, छम्मा छम्मा ,चीज़ बड़ी है मस्त मस्त ,काला चश्मा ,पटोला ,लैला मैं लैला, आदि। पुराने लोगों के लिए ये रीमेक सांग्स उनको पुराने समय की याद दिला देते है मगर ऐसा कई लोगों का मानना है कि ये बीट्स और रैप गाने को बेकार बना देते हैं।

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