भारत विश्व में बन सकता है मैन्युफैक्चरिंग का हब : ग्लोबल टाइम्स
चीन से पलायन कर रही कई कंपनियां भारत में अपने निवेश को लेकर उतनी रुचि नहीं दिखा रहीं हैं, जितना कि वह वियतनाम जैसे छोटे से देश में ले रही हैं। भारत की ‘मेक-इन इंडिया’ को शुरू हुए लगभग 5 साल बीत गये हैं पर अभी तक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से भारत में कारखाने लगाने में किसी तरह की सार्थकता नज़र नहीं आ रही है।
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‘ग्लोबल टाइम्स‘
चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में ये कहा गया है कि नई दिल्ली अगर पेइचिंग को लेकर अपना नजरिया बदले और उसकी सफलता से सीख ले तो भारत देश विश्व में मैन्युफैक्चरिंग का हब बन सकता है और मेक-इन इंडिया को कामियाबी की ओर ले जा सकता है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत बनाने का प्रयास
साथ ही इस बात की ओर भी इशारा किया जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मध्य शिखर वार्ता से भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में सफलता पाने का रास्ता और मजबूत हो सकता है। चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में इस लेख को प्रकाशित किया गया है कि भारत पिछले कुछ वर्ष से अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन लॉजिस्टिक्स की सुविधा, मानव शक्ति और अन्य पूरक बुनियादी ढांचे की क्षमता अपेक्षा के अनुसार न होने की वजह से भारत को सफलता नहीं मिल पा रही है।
मेक-इन इंडिया को सच्चाई में बदलना
‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित लेख के अनुसार, ‘भारत और चीन के बीच शिखर वार्ता से नई दिल्ली को इस स्थिति को बदलने का मौका प्राप्त होगा। पिछले वर्ष वुहान में दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में की गयी कोशिशों के बाद यदि, भारत की राजधानी नई दिल्ली इस शिखर वार्ता को वास्तव में व्यावहारिक नजरिए से देखे तो मेक-इन इंडिया को सच्चाई में बदलना आसान हो जाएगा।’
शी-मोदी की मुलाकात
शी इस समय भारत के दौरे पर आये हुए हैं। शुक्रवार को चेन्नै के महाबलीपुरम में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई। लेख में ये भी प्रकाशित किया गया है कि शी-मोदी की मुलाकात के दौरान शी उनको मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन की सफलता की ट्रिक्स बताएंगे।