दुखदाई खबर : 90 वर्षों बाद बंद हुआ लक्ष्मण झूला
कांवड़ मेला शुरू होने में मात्र 4 दिन ही शेष है लेकिन लोक निर्माण विभाग द्वारा लक्ष्मणझूला पुल को लेकर एक सर्वे किया गया, जिसमें यह निकलकर आया कि लक्ष्मणझूला पुल की स्थित जर्जर है। ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पुल की रिपोर्ट आने के बाद शासन की नींद खुली तो प्रदेशभर के पुलों का तकनीकी परीक्षण करने का आदेश जारी कर दिया गया।
दरसअल लक्ष्मण झूला पुल को लेकर आयी रिपोर्ट में पुल के असुरक्षित होने की बात सामने आई है, जिसके बाद पुल से आवाजाही को लेकर रोक लगा दी गई है। अब सबसे बड़ी चुनौती ये है कि लाखों लोगों के आने जाने की व्यवस्था कैसे होगी।
11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 वर्ष पुराना है, इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था। इसको देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पंहुचते हैं लक्षमण झूला एक 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है, जहाँ से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। मूलतः यह जूट का बना एक पुल था जिसे सन् 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया।
90 वर्षों बाद बंद हुआ लक्ष्मण झूला
ऋषिकेश में अंग्रेजों के जमाने का लक्ष्मण झूला पुल अब लोगों की आवाजाही के लिए रोक दिया गया है। दरअसल लक्ष्मण झूला पुल को लेकर हाल ही में तकनीकी परीक्षण करवाया गया था, जिसमें पुल को लेकर कई खामियों की बात सामने आई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि लक्ष्मण झूला अपनी मियाद पूरी कर चुका है और इस पुल में कई हिस्से बेहद कमजोर हो चुके हैं। रिपोर्ट के इसी पहलू को देखते हुए शासन स्तर से पुल पर आवाजाही को रोकने के आदेश किए गए हैं।
ऋषिकेश स्थित इस पुल को लेकर कई मान्यताएं हैं और लक्ष्मण के नाम से होने के चलते तीर्थ यात्रियों के लिए यह पुल काफी महत्व रखता है। खास बात यह है कि लक्ष्मण झूला पुल को लेकर आई इस रिपोर्ट के बाद शासन ने प्रदेश के सभी पुलों का तकनीकी परीक्षण करवाने का भी निर्णय ले लिया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार के मुताबिक प्रदेश के सभी पुलों का तकनीकी परीक्षण कराने के आदेश दे दिए गए हैं और जहां भी उचित होगा वह जरूरी कदम भी उठाए जाएंगे। मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है और सरकार यात्रियों के लिए उचित व्यवस्था कर रही है।
उत्तराखंड में लगातार यात्रियों की संख्या बढ़ रही है और हजारों की संख्या में यात्री पुल के ऊपर से हर दिन गुजरते हैं। ऐसे में सरकार ने एतिहाद के तोर पर पुल पर आवाजाही को रोका है, जबकि प्रदेशभर के पुलों की भी स्थिति जांचने के आदेश किए गए हैं।
90 वर्ष पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था। आज उस पुल पर खतरा मंडराने लगा है लोक निर्माण विभाग के द्वारा लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया गया जिस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह निकल कर आया की पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है।
लोक निर्माण विभाग ने अपने इस सर्वे रिपोर्ट को शासन में प्रस्तुत किया जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने का आदेश जारी कर दिया पुल के बंद होने के आदेश के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती कावड़ यात्रा को लेकर पैदा हो गई है।
दरअसल कांवड़ मेले में इस वर्ष 50 से 60 लाख कावड़ियों के आने की संभावना है। ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है । हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश आने के बाद अधिकारियों के बैठक का दौर भी शुरू हो गया है।
लक्ष्मण झूला ब्रिज ऋषिकेश ही नहीं बल्कि हमारे देश की एक धरोहर है, जिसे देखने मात्र के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग यहां पहुंचते हैं। वहीं इस पुल के बंद होने की सूचना मिलने के बाद स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं । व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर करता है क्योंकि पैदल आवाजाही के लिए एकमात्र रास्ता है। अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस पुल को बंद करने के बजाए इसकी मरम्मत करवाए।