नवरात्र के प्रथम दिन पर ऐसे करें मां शैलपुत्री की विशेष अर्चना, होगी हर इच्छा पूरी
नवरात्र शुरू हो गए हैं, नवरात्रों का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। इस दिन कलश स्थापना के साथ-साथ मां शैलपुत्री का विधिवत पूजन किया जाता है।चैत्र नवरात्रों के प्रारम्भ होने के साथ-साथ हिन्दू नववर्ष अर्थात नए संवत्सर की शुरुआत भी हो जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है।मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है। खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है। महिलाओं की पारिवारिक स्थिति, दांपत्य जीवन, कष्ट क्लेश और बीमारियां मां शैलपुत्री की कृपा से दूर होते हैं।कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा-
– नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
– मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
– मां शैलपुत्री की आराधना से मन चाहे फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है।
– शैलपुत्री का पूजन करने से अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
– यदि जीवन के समस्त कष्ट क्लेश है और नकारात्मक शक्तियों ने आपको घेर रखा है, तो उसके के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें।किन बातों का रखें खास ध्यान-
– मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना में अशुद्ध वस्त्र पहन कर पूजा ना करें।
– घर के किसी भी कमरे में अंधेरा ना रखें।
– अपनी बहन, बेटी, बुआ या किसी भी महिला का तिरस्कार न करें।मां शैलपुत्री की विशेष अर्चना विधि-
– एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें।
– मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें।
– ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
– जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें।
– अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें।
– ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होंगे।