सोनिया गांधी का गढ़ भेदना BJP के लिए नहीं है आसान, जानिए क्यों
सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में कम सक्रिय रही, फिर भी रायबरेली में उनका सिक्का बरकारार है। अभी हाल ही में उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने रायबरेली में सोनिया गांधी के भेजे संदेश को पढ़कर लोगों में भावनात्मक प्यार जगा दिया है।
दूसरी ओर भाजपा ने भी कांग्रेस के पुराने साथी और एमएलसी दिनेश सिंह को पार्टी में शामिल कराकर सेंधमारी की है। अमित शाह ने खुद रैली कर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायबरेली में आधुनिक रेल कोच कारखाने और 558 करोड़ रुपए की लागत से बने रायबरेली-बांदा हाइवे का भी लोकार्पण किया। लेकिन यहां BJP की इन बातों से दाल गलनी मुश्किल सी लग रही है।
BJP के लिए रायबरेली में लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं
भाजपा के लिए रायबरेली सीट से जीत का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि रायबरेली के लोगों में सोनिया गांधी से भावनात्मक लगाव है। रायबरेली में कांग्रेस बहुत मजबूत है, भाजपा की कांग्रेस से सीधी लड़ाई है। सोनिया गांधी के कामों का यहां अभी तक कोई तोड़ नहीं है।
रायबरेली में एनटीपीसी, रेल कोच फैक्ट्री, आईटीआई और एम्स जैसी तमाम इकाइयां कांग्रेस की देन हैं और कांग्रेस ने रायबरेली के लोगों को इनमें काफी रोजगार दिया है। रायबरेली में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट, निफ्ट और एफडीडीआई जैसे उच्चस्तरीय संस्थान भी गांधी परिवार के प्रभुत्व को दिखाते हैं।
कुछ यही कारण रहे हैं कि पिछली बार ‘मोदी लहर’ के बावजूद रायबरेली की सभी विधानसभा क्षेत्रों पर सोनिया गांधी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे।