मोदी से मुलाकात ने ग्रैमी विजेता को पर्यावरण के प्रति किया प्रेरित
बेंगलुरू, 10 मार्च (आईएएनएस)| बात सितंबर 2015 की है, जब बेंगलुरू स्थित ग्रैमी अवार्ड विजेता रिकी केज की मुलाकात अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होती है और इसमें उन्हें वह प्रेरणा मिली जिसके कारण उन्होंने अपना जीवन और संगीत पर्यावरण को समर्पित कर दिया।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय जैसे वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले केज इस मुलाकात के बाद से अपने संगीत का इस्तेमाल नीति निर्माताओं और आम लोगों का ध्यान पर्यावरण की ओर आकर्षित करने के लिए कर रहे हैं।
केज ने यहां आईएएनएस से एक खास मुलाकात में कहा, “होना तो यह था कि प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवानी थी, लेकिन हुआ यह कि उनके साथ पर्यावरण को लेकर करीब एक घंटे तक बात हुई। उन्होंने समाज पर संगीत के असर के बारे में बात की और मुझे पर्यावरण पर संगीत बनाने के लिए प्रेरित किया।”
केज का संगीत वैश्विक नेताओं के साथ-साथ आम आदमी से संवाद स्थापित करता है, फिर चाहे वह गीत ‘गंगा’ हो, जिसमें भारतीयों द्वारा पवित्र माने जाने वाली गंगा नदी की समस्याओं का जिक्र है या फिर शांति और वैश्विक सौहार्द की बात करने वाला उनका ग्रैमी विजेता एल्बम ‘विंड्स आफ समसारा’ हो।
उन्होंने कहा, “बाल श्रम, लैंगिक असमानता और गरीबी जैसे कितने ही मुद्दे हैं जो संगीत में जगह नहीं पा रहे हैं। संगीत ने कला की एक विधा की अपनी पहचान खो दी है और यह एक पेशा बन कर रह गया है।”
केज (37) के 15 स्टूडियो एल्बम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज हो चुके हैं। कन्नड़ भाषा की तीन फिल्में और 20 देशों के सौ से अधिक पुरस्कार हासिल कर चुके वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग जैसे मुद्दों को संगीत के जरिए उठाने वाले केज के एल्बम ‘शांति समसारा’ को पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जारी किया और बाद में 2015 के नवंबर-दिसंबर में पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंको ओलांद ने जारी किया था।
मोदी से मुलाकात के बाद केज ने इस एल्बम की परिकल्पना तैयार की और चालीस देशों के पांच सौ संगीतकारों के साथ इसे एक रूप दिया।
केज ने कहा, “राजनेता और नीति निर्माता आंकड़ों की भाषा में बात करते हैं, लेकिन इसे ही जब कला के माध्यम से पेश किया जाता है तो इसका असर कुछ और ही होता है। मैंने राजनेताओं को मेरे संगीत कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद पर्यावरण के प्रति अपना रुख बदलते देखा है।”
अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में 1981 में जन्मे केज अपने परिवार के साथ जब बेंगलुरू आए, उस वक्त वह आठ साल के थे और संगीत और प्रकृति के लिए तब भी उनमें काफी श्रद्धा थी।
उन्होंने कहा, “बचपन में मैंने महसूस किया कि संगीत और प्रकृति का बेहद गहरा रिश्ता है। मैंने प्रकृति, पक्षियों, पशुओं की आवाज में संगीत को महसूस किया। विश्व के अलग-अलग हिस्सों के इतिहास, संस्कृति व भावनाओं को मैंने संगीत के जरिए समझा। मेरी शिक्षा का बड़ा हिस्सा संगीत को समर्पित है।”
केज बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कैंपस में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में प्रोफेसर हैं।
(यह साप्ताहिक फीचर आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेशन की सकारात्मक पत्रकारिता परियोजना का हिस्सा है)