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मेरे क्षेत्र में मानसिक बाधाओं को तोड़ना जरूरी : पहली महिला विमानन फायरफाइटर

कोलकाता, 10 मार्च (आईएएनएस)| कोलकाता की रहने वाली तान्या सान्याल को नृत्य करना व पढ़ना पसंद है और वह विमानन सेवा में भीषण आग को नियंत्रित करने में भी समान रूप से दक्ष हैं। उनका कहना है कि एक महिला को पुरुष प्रधान पेशों में बाधाओं को तोड़ने के लिए शारीरिक शक्ति की जरूरत नहीं है क्योंकि मानसिक क्षमता ही सबसे बड़ी कुंजी है।

27 वर्षीय तान्या 2018 में भारत की पहली महिला विमानन फायरफाइटर बनीं जो उनके लिए एक सुखद आश्चर्य रहा था। उन्हें भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने नियुक्त किया था।

उनकी उपल्बधियों के लिए दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने के बाद सान्याल ने आईएएनएस को बताया, “मैं विज्ञापन देखा करती थी और उसे करने के बारे में सोचती थी क्योंकि मैं कुछ अपरंपरागत करना चाहती थी। एविएशन में फायरफाइटिंग सामान्य फायरफाइटिंग से अलग है क्योंकि उसमें आपको बहुत जल्दी प्रतिक्रिया देनी होती है।”

उन्होंने कहा, “यह कुल मिलाकर तकनीक के बारे में है। जो लोग शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली होते हैं, वे भी विफल हो सकते हैं।”

मृदुभाषी लड़की के लिए यह गर्व का क्षण है क्योंकि पुरुष प्रधान मानिसकता को तोड़ने के उनके प्रयास को मान्यता मिली है।

उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में, वक्त वास्तव में मूल्यवान है और व्यक्ति को उसमें मास्टर होने की जरूरत है। शारीरिक फिटनेस के अलावा मानसिक मजबूती भी बहुत जरूरी है।”

अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के अनुसार, अग्निशमन कर्मियों के लिए प्रतिक्रिया समय 138 सेकंड है क्योंकि अगर कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है या उसमें आग लग गई हो तो ऐसे मामलों में विमान में ज्यादा देर तक अंदर नहीं रहा जा सकता।

बॉटनी में स्नातकोत्तर सान्याल शुरुआती मानदंडों पर पूरा उतरती थीं। उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन पहले दौर को सफलतापूर्वक पास करने के बाद ही उन्होंने अपने माता-पिता के सामने इसका खुलासा किया जिन्होंने तान्या को अपने सपनों को पूरा करने की पूरी आजादी दी। उन्होंने नई दिल्ली के फायर ट्रेनिंग सेंटर से अपना अंतिम प्रशिक्षण लिया।

उन्होंने कहा, “मैं अपने परिजनों, प्रशिक्षकों और साथियों का पूरा समर्थन पाने के लिए खुद को बहुत ही सौभाग्यशाली मानती हूं। फिर भी प्रशिक्षण के दौरान मुझे खुद को प्रेरित रखने की जरूरत थी और रॉबिन शर्मा की पुस्तक ‘द ग्रेटनेस गाइड’ से मुझे बहुत मदद मिली।”

वह फिलहाल प्रशिक्षक के रूप में शहर के फायर सर्विस ट्रेनिंग सेंटर में तैनात हैं।

उन्होंने कहा कि एएआई के उत्तर जोन में हाल ही चयनित अन्य महिला को भी उन्होंने प्रशिक्षण दिया। वह चाहती हैं कि ये संख्या बढ़ती जानी चाहिए।

सान्याल ने कहा, “2019 में अच्छा वक्त है जब हम सभी पुरुष प्रधान पेशे में लैंगिक बाधाओं को तोड़ सकते हैं। मुझे लगता है कि हमारे समाज में रहने वाली प्रत्येक महिला एक फायटर है और उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है।”

 

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