आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मामला : नुपॉवर-मैट्रिक्स समूह सौदे पर ईडी की नजर
नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करोड़ों रुपये के धनशोधन के एक मामले में यह पता लगाने के लिए अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है कि क्या मॉरीशस स्थित फर्स्टलैंड होल्डिंग्स और आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के स्वामित्व वाले नुपॉवर रिन्युवेबल्स प्रा. लि. के बीच कोई अवैध धन का लेन-देन था।
यह मामला आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 2009-2011 के दौरान दिए गए 1,875 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी देने में कथित अनियमितता और भ्रष्ट आचरणों से जुड़ा है।
एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ आईएएनएस से कहा कि ईडी को फर्स्टलैंड के जरिए नुपॉवर तक करोड़ों रुपये पहुंचाने के एक अवैध लेन-देन के बारे में जानकारी मिली।
फर्स्टलैंड का स्वामित्व मैट्रिक्स समूह के अध्यक्ष और एस्सार समूह के सहसंस्थापक रवि रुईया के दामाद निशकांत कनोडिया के पास है।
ईडी को संदिग्ध लेन-देन के बारे में तब पता चला, जब कनोडिया से रविवार और सोमवार को पूछताछ किया गया।
चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत से पिछले पांच दिनों के दौरान मुंबई में हुई पूछताछ में भी इन लेनदेन के बारे में एजेंसी को सुराग मिला।
अधिकारी ने कहा, “नुपॉवर को धूत और कनोडिया के फर्स्टलैंड के स्वामित्व वाली विभिन्न कंपनियों से करोड़ों रुपये के लेन-देन हुए हैं। लेकिन लेन-देन कंपनियों के एक जाल के जरिए किया गया। हमें सूत्र स्थापित करना है।”
ईडी को पता चला है कि नुपॉवर को फस्टलैंड से 3,250 करोड़ रुपये का निवेश मिला और इसकी प्रक्रिया दिसंबर 2010 में शुरू हुई थी।