IANS

मप्र सरकार वनवासियों को उजड़ने से बचाने पुनर्विचार याचिका दाखिल करे : सिंधिया

 भोपाल, 24 फरवरी (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वन भूमि पर काबिज लोगों के संदर्भ में दिए गए फैसले का असर मध्य प्रदेश के साढ़े तीन लाख परिवारों पर पड़ने वाला है।

 कांग्रेस के महासचिव व गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर इन परिवारों को गहराते संकट से बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का अनुरोध किया है। कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के सन्वयक मनीष राजपूत ने एक बयान जारी कर रविवार को बताया कि सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से देश में लगभग 10 लाख जनजातीय वर्ग और वनवासी परिवार प्रभावित होने वाले हैं।

बयान में कहा गया कि इन परिवारों पर गहरा संकट मंडराने वाला है। मध्य प्रदेष में दो लाख से ज्यादा परिवार अनुसूचित जनजातियों व डेढ़ लाख से ज्यादा वनवासियों के दावे ठुकराए गए हैं, यह न्यायालय में पेश किए गए दस्तावेजों से सामने आया है। प्रदेश में यह संख्या किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है।

राजपूत के अनुसार, सिंधिया ने कमलनाथ को जो पत्र लिखा है उसमें सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार द्वारा मजबूत दावा पेश न किए जाने का भी जिक्र है। सिंधिया ने कहा है कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में वन अधिकार कानून के पक्ष में मजबूत दलील पेश नहीं की, कई पेशियों में सरकारी वकील गए ही नहीं। केंद्र सरकार की इस लापरवाही का नुकसान अनुसूचित जनजातियों और वनवासी परिवारों को नहीं भुगतना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार पहल करे।

सिंधिया ने आगे आदिवासियों के संघर्ष का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि आदिवासी संगठनों ने बहुत संघर्ष किया था और यूपीए शासनकाल में यह ऐतिहासिक कानून लागू किया गया था। वर्तमान में इन परिवारों को जमीन और घर से उजड़ने से बचाने के लिए उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए इस कार्रवाई को रोका जाना चाहिए। लिहाजा राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है।

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को एक आदेश जारी कर वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त होने के बाद कब्जा हटाने के आदेश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से देश में 10 लाख परिवार प्रभावित होने वाले हैं, जिनमें मध्य प्रदेश के लगभग साढ़े तीन लाख लोग हैं।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close