IANS

अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर राजस्थान में मुहिम तेज

जयपुर, 23 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के जनजाति बहुल इलाकों को मिलाकर पृथक भील प्रदेश बनाने की मांग तेज कर दी है।

बीटीपी का गठन 2017 में गुजरात में हुआ था। पिछले साल राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे और दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।

छात्रों के वर्चस्व वाली इस पार्टी ने अपनी जीत से सत्ता में लौटी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को हैरान कर दिया। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बीटीपी के दो सदस्य हैं।

सागवाडा से बीटीपी विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने कहा, “हमारी मौजूदा बदहाली के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों जिम्मेदार हैं। उन्होंने हमारे सारे संसाधनों का उपयोग किया लेकिन हमारे लिए किसी प्रकार का विकास कार्य नहीं किया।”

बीटीपी के दूसरे विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि बजट में जनजाति उप योजना के तहत करोड़ों रुपये की मंजूरी दी जाती है लेकिन महज 21 फीसदी का उपयोग होता है और बाकी रकम विभिन्न अधिकारियों की जेब में चली जाती है। रोत चोरासी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

उन्होंने कहा, “अब कांग्रेस कार्यकर्ता जब हमसे पूछते हैं कि अलग राज्य की मांग क्यों कर रहे हैं तो मैं ईमानदारी से कहता हूं कि अगर मां अपने एक बच्चे को पूरी तरह नजरंदाज करेगी तो वह निश्चित रूप से अपने साहस को प्रमाणित करने के लिए अपनी पहचान बनाएगा।”

बीटीपी ने जनवरी में बांसवाड़ा में एक जनसभा बुलाई और अलग भील प्रदेश की मांग उठाई।

राजस्थान में बीटीपी के वरिष्ठ नेता बी. एल. छानवाल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “बीटीपी पृथक राज्य की मांग का समर्थन कर रहा है। हम संविधान की पांचवीं अनुसूची को लागू करने की भी मांग करते हैं जिसमें जनजाति को अपनी जमीन के अधिकार की रक्षा करने का जिक्र है। जल, जमीन और जंगल हमारा है, लेकिन विभिन्न लोगों ने इन पर कब्जा कर लिया है और वे इनका दोहन कर रहे हैं, जो वास्तव में दुखद है।”

बीटीपी ने 14 फरवरी को फिर उदयपुर में एक विशाल रैली में पृथक राज्य की अपनी मांग दोहराई। उन्होंने जनजातियों के उत्पीड़न पर शीघ्र रोक लगाने की मांग की।

बीटीपी के प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम घिघरा ने इस अवसर पर कहा, “हमारे दो उम्मीदवार विधायक बनकर विधानसभा में दाखिल हो गए हैं। अब हमारी पार्टी के सांसद भी होंगे।”

जनजाति नेताओं ने कांग्रेस और भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने उनके अधिकार छीन लिए और उनके विकास को अवरुद्ध कर दिया।

 

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