एक्सचेंज कारोबार में अब भरोसा नहीं : जिग्नेश शाह
नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) में अपनी ऊंगलियां जलाने के बाद उसके संस्थापक और वर्तमान में 63 मून टेक्नॉलजीज (पहले फाइनेंशियल टेक्नॉलजी के नाम से जानी जाती थी) के ‘मेंटर’ जिग्नेश शाह का कहना है कि वे अब स्टॉक या कमोडिटी एक्सचेंज में कोई निवेश नहीं करेंगे।
शाह ने आईएएनएस को बताया कि उनका वर्तमान लक्ष्य कर्जदारों से कंपनी के धन को वसूलना है और उनकी कंपनी 63 मून्स के माध्यम से नए प्रतिभाओं को ‘संरक्षण व सलाह’ देना है।
यह पूछे जाने पर कि एनएसईएल मुद्दे के समाधान के बाद क्या उन्होंने एक्सचेंज कारोबार में फिर से निवेश करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, “हम एक्सचेंज कारोबार से अपने फंसे हुए रकम को निकालकर इस क्षेत्र (एनएसईएल) को सायोनारा (जापानी भाषा में अलविदा) बोल देंगे, हमेशा के लिए।”
उन्होंने वैश्विक स्तर पर भी एक्सचेंज के कारोबार में उतरने की किसी संभावना से इन्कार किया।
शाह ने 2003 में मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और 2008 में देश का पहले इलेक्ट्रॉनिक कमोडिटी एक्सचेंज एनएसईएल लांच किया था।
उन्होंने अंतत: छह देशों में अपने व्यापारिक आदान-प्रदान को शुरू किया था।
साल 2013 में उनके भाग्य को बड़ा झटका लगा, जबकि एनएसईएल में 5,600 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया, जिसके बाद शाह को अपने उन सभी एक्सचेंज से हाथ धोना पड़ा, जिसे उन्होंने विकसित किया था।
शाह, हालांकि इस घटना को एक ‘दुर्घटना’ करार देते हैं और कहते हैं कि कंपनी को तबाह करने की जानबूझकर कोशिश की गई, क्योंकि ‘असली दोषियों’ तक पहुंचा नहीं गया, जोकि उनके मुताबिक डिफाल्टर्स, ब्रोकर्स व अन्य थे।
सीरीयस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एनएसईएल घोटाला डिफाल्ट कर रहे ब्रोकर्स, ट्रेडर्स और स्पॉट एक्सचेंज के कार्यकारी प्रबंधन द्वारा किया गया, ना कि खुद शाह के द्वारा।
कंपनी ने सोमवार को कहा था कि उसने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और फारवर्ड मार्केट कमीशन के तत्कालीन चेयरमैन रमेश अभिषेक और वित्त मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव के. पी. कृष्णन को नोटिस भेजा है कि 63 मून्स उन पर 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान का मुकदमा दायर करेगी।