इमरान की शांति की कवायद हुई लहूलुहान
नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)| कश्मीर के अलगाववादियों से सीधी बातचीत से लेकर कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मसले को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के पास उठाने और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तथाकथित शांति की कवायद जल्द ही रंक्तरंजित हमले में बदल गई।
पाकिस्तानी मीडिया में पुलवामा आतंकी हमले की कवरेज भारत में वायरल हो रही है, जिसमें प्रमुख दैनिक अखबारों ने सुर्खियों के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के शहीद 49 जवानों पर हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर को स्वतंत्रता सेनानी करार दिया है और इस रंक्तरंजित घटना को पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के खिलाफ जवाबी हमला बताया है, जिससे भारत में जनाक्रोश फूट पड़ा है।
कहा जाता है कि भारत जवावी हमले को अपना अधिकार बताते हुए सैन्य कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर रहा है, ऐसे में पुलवामा हमले तक इमरान खान सरकार के हावभाव को सिलसिलेवार ढंग से एक साथ जोड़कर देखा जा सकता है।
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मनमुटाव पहले ही हो चुका था, क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की कश्मीरी अलगाववादियों से फोन पर बातचीत पर नई दिल्ली की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की गई थी। उन्होंने लंदन में कश्मीरी एकता के एक कार्यक्रम की भी अगुवाई की थी, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था।
कुरैशी ने करतारपुर गलियारा खोलकर मित्रभाव दर्शाने को गुगली बताया।
इमरान खान ने कहा कि भारत अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा बर्ताव करता है, जिस पर नई दिल्ली ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की।
अधिकारियों ने यहां बताया कि इन परिदृश्यों के पीछे इस्लामाबाद भारत को नुकसान पहुंचाने की रणनीतिक चाल चल रहा है। भारत का आकलन है कि इमरान खान पाकिस्तान के शक्तिशाली सैन्य प्रशासन से प्रेरित नीति पर चल रहे हैं, क्योंकि सेना ने उनको प्रधानमंत्री बनने में मदद की।
पाकिस्तानी सेना की जम्मू एवं कश्मीर में आत्मघाती हमले करके दहशत पैदा करने की योजना है। इस तिकड़म का इस्तेमाल ईरान में भी किया जा रहा है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पुलवामा और ईरान में आत्मघाती हमलों में विचित्र समानता देखती हैं। एजेंसियों ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान में हाल ही में हुए आत्मघाती विस्फोटों में शामिल गुटों को पाकिस्तान की सरकार का समर्थन है।
अगर पाकिस्तान ने जम्मू एवं कश्मीर में एक नई लकीर खीची है, तो भारत की एजेंसियां पाकिस्तानी क्षेत्रों में आतंकी लांच पैडों पर हवाई हमले या दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक समेत सभी विकल्पों पर विचार करते हुए तैयारी में जुटी हैं।