‘एनएससी अंतिम प्राधिकरण, नीति आयोग की आंकड़ों में कोई भूमिका नहीं’
नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)| पी. सी. मोहनन ने पिछले महीने राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि सरकार ने उन्हें वित्त वर्ष 2017-18 के उच्च बेरोजगारी के आंकड़े की रिपोर्ट को ‘रोक’ दिया था। उनका कहना है कि आयोग ही एनएसएसओ रिपोर्ट का अंतिम प्राधिकरण है और नीति आयोग को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए।
एनएससी के पूर्व प्रमुख ने नीति आयोग के उस दावे को भी खारिज किया कि यह मसौदा रिपोर्ट थी और जारी करने के लिए तैयार नहीं थी, क्योंकि ‘सरकार ने इसे मंजूरी प्रदान नहीं की’ थी। उन्होंने कहा कि नीति आयोग का तर्क ‘अस्वीकार्य’ है।
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, “एक बार आयोग रिपोर्ट को मंजूरी दे देता है, तो वह अंतिम रिपोर्ट होती है। आप ऐसा नहीं कह सकते कि इसे सरकार की मंजूरी की जरूरत है। आप या तो रिपोर्ट को स्वीकार करें या खारिज करें, लेकिन सरकार आंकड़ों को मंजूरी नहीं दे सकती है। इससे विश्वसनीयता को लेकर कुछ सवाल खड़े होते हैं।”
उन्होंने कहा, “एनएसएसओ रिपोर्ट का अंतिम प्राधिकरण आयोग ही है। इसके बाद नीति आयोग का इसमें शामिल होना कोई वांछनीय बात नहीं है। आयोग के पिछले अध्यक्ष ने भी कहा है कि आधिकारिक आंकड़ों को जारी करने में नीति आयोग की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। क्योंकि वे आंकड़ों के यूजर्स है, इसलिए उन्हें शामिल नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आयोग के लिए यह महत्वपूर्ण था कि उसकी स्वायत्तता बनी रहे।
मोहनन ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा रिपोर्ट जारी करने की अनिच्छा ही ‘आखिरी कारण’ था, जिसके कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
उन्होंने कहा, “कई सालों से हमने देखा है कि आयोग की सिफारिशों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। वित्त वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में हमने स्पष्ट रूप से लिखा था कि हमें इस बात का दुख है कि सरकार हमारी सिफारिशों को गंभीरता से नहीं ले रही है।”
मोहनन ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने इस्तीफा निजी कारणों से नहीं दिया, जैसा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा था।