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क्या चेहरे की पहचान प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग रोकने में सक्षम है भारत?

नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)| चेहरे की पहचान की प्रौद्योगिकी का उपयोग दुनियाभर में बढ़ रहा है। ऐसे में इसके दुरुपयोग को रोकना आवश्यक है। विशेषज्ञों की माने तो डाटा सुरक्षा और डाटा निजता कानून के अभाव के कारण भारत इस प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग रोकने में सक्षम नहीं है। देश में साइबर कानून के शीर्ष स्तर के विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “भारत में चेहरे की पहचान की प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं है।”

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून में खास तौर से इस प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग से नहीं निपट का तरीका नहीं है।

उन्होंने कहा, “शायद इस प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग से होने वाले लाभ के कारण इसके उपयोग पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है क्योंकि इससे अपेक्षित समय से काफी कम समय में फोटो और वीडियो में लोगों या वस्तुओं की पहचान हो जाती है।”

पिछले साल अप्रैल में चेहरे की पहचान प्रणाली के परीक्षण के दौरान दिल्ली पुलिस ने महज चार दिन में 3,000 लापता बच्चों की पहचान की।

हालांकि कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए अपराध से निपटने और लापता लोगों की पहचान करने के साथ-साथ कारोबार के लिहाज से उद्योग के लिए भी प्रौद्योगिकी के फायदे से इनकार नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन यह प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग है जिससे देश के नागरिकों के लिए समस्या पैदा हो सकती है।

दुग्गल ने कहा, “चेहरे की पहचान की प्रौद्योगिकी के लिए विनियामक रूपरेखा की गैर-मौजूदगी का पहला शिकार लोगों की निजता का अधिकार बन रहा है।”

उन्होंने कहा, “भारत में चेहरे की पहचान के डाटा संग्रहन को विनियमित करने के लिए कोई रूपरेखा भी नहीं है। साइबर अपराधी परिस्थिति का लाभ ले रहे हैं और वे डार्क नेट पर ऐसे डाटा उपलब्ध करवा रहे हैं।”

माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी कुछ बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां भी इस बात से सहमत हैं कि सरकार के लिए इस प्रौद्योगिकी को विनियमित करने की जरूरत है।

माइक्रोसॉफ्ट प्रेसिडेंट ब्रैड स्मिथ ने दिसंबर में एक ब्लॉग पोस्ट में इस बात का जिक्र किया कि इस प्रौद्योगिकी के कुछ उपयोग से पूर्वाग्रही फैसलों का खतरा बढ़ सकता है और लोगों की निजता में दखलंदाजी हो सकती है। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर निगरानी के लिए किए जाने पर लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का हनन हो सकता है।

दुग्गल ने कहा कि कोई इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल निर्भय होकर कर सकता है क्योंकि उसे किसी हानिकर कानूनी परिणाम का डर नहीं होगा।

उन्होंने कहा, “यहां का कानून नागरिकों को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है।” उन्होंने कहा कि चेहरे की पहचान का स्वनियमन प्रभावकारी नहीं होगा।

दुग्गल ने कहा, “हम जितनी जल्दी चेहरे की पहचान प्रौद्योगिकी को विनियमित करने के लिए प्रभावी कानूनी तंत्र मुहैया करवाने में सक्षम होंगे, यह देश और इसके नागरिकों के लिए उतना ही बेहतर होगा।”

 

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