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किन्नरों की इस मांग को सुनकर आप भी कहेंगे भाई वाह…

समाज की लांछनों और बाधाओं पर विजय पाकर जीवन में मुकाम हासिल करने वाले किन्नरों ने समानता की मांग को लेकर आवाज उठाई है। इनमें पार्लर में काम करने वालों से लेकर सौंदर्य प्रतियोगिता में खिताब हासिल करने वाले किन्नर शामिल हैं।

जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी (जेएसजीपी) और ऑफिस ऑफ कॅरियर सर्विसेज द्वारा आयोजित ‘वी आर योर स्ट्रेंथ’ कार्यक्रम में शुक्रवार को किन्नरों ने अपनी आपबीती सुनाकर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने बताया कि उन्हें सफलता हासिल करने में कितना संघर्ष करना पड़ा और उन्होंने कैसे बाधाओं पर विजय पाई।

किन्नरों की मांग

मंच साझा करने वाले अधिकांश किन्नरों ने बताया कि देह व्यापार में लिप्त लोग उन्हें अन्य लिंग के रूप में देखते हैं और उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि समाज में उनकी पहचान किस प्रकार रूढ़ बन गई है।

हिंदुस्तान लेटेक्स फैमिली प्लानिंग प्रमोशन ट्रस्ट की एडवोकेसी ऑफिसर बनी प्रथम किन्नर अमृता सोनी ने कहा, “मेरे लिंग के बारे में जानने के बाद 100 रुपये का एक नोट पकड़ाकर मेरे अपने ही परिवार के लोगों ने मुझे घर से बाहर कर दिया। मेरे साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। वह दिन मेरे एमबीए (कोर्स) का अंतिम दिन था। समाज ने मुझे उपहार में एचआईवी पॉजिटिव का तकमा दिया।”

एक अन्य किन्नर और मिस ट्रांसक्वीन इंडिया सौंदर्य प्रतियोगिता की आयोजक रीना ने कहा कि सबसे पहले परिवार और जानने वाले ही बाधक बनते हैं।

रीना ने कहा, “आप कौन हैं, यह मायने नहीं रखता हैं, बल्कि आप क्या बन गए हैं, यह महत्वपूर्ण है। हम सबको अपने परिवार की स्वीकृति पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है और हमने अनेक बाधाओं पर विजय प्राप्त की है। अब उनको हमारी उपलधियों पर गर्व है।”

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