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संगीत, नृत्य से हुआ रजा उत्सव का आगाज

नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)| कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम और हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘युवा शास्त्रीय’ के साथ ही रजा उत्सव का आगाज हो गया। रजा उत्सव मशहूर कलाकार एस. एच. रजा की 97वीं सालगिरह के मौके पर रजा फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया जा रहा है।

‘रजा उत्सव’ के तहत त्रिवेणी कला संगम में शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आयोजन किया गया, जिसमें शास्त्रीय गायन की प्रसिद्ध शख्सियत पंडित कुमार गंधर्व के पोते वसुंधरा कोमकली तथा मधुप मुद्गल के शिष्य भुवनेश कोमकली का शास्त्रीय गायन भी हुआ।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी भुवनेश ने पंडित कुमार गंधर्व की बंदिश, ‘राग मधुवंती परंपरा बंदिश’ और ‘सगुण भजन’ का गायन किया। शंभुनाथ भट्टाचार्य ने तबला, चेतन निगम ने हारमोनियम और गीता तथा वंदना ने तानपुरे पर उन्हें संगत दी।

इसके अलावा पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. वेम्पति चिन्नासत्यम, जयराम राव तथा वनुश्री राव की शिष्या अयाना मुखर्जी ने अपने मनमोहक कुचिपड़ी नृत्य से दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने कर्नाटक संगीतकार तंजौर शंकर अय्यर की रचना ‘महादेव शिव शंभु’ पर बेहतरीन नृत्य प्रस्तुति दी।

अयाना की पहली नृत्य प्रस्तुति का विषय मरक डेय की कथा पर आधारित था, जिसमें भगवान शिव ने यम के चंगुल से युवा मरक डेय को बचाया। दूसरी प्रस्तुति के तहत अयाना ने डॉ. वेम्पतिचिन्ना सत्यम की कोरियोग्राफी में अष्टपति-‘राधिका कृष्णा’ का भावपूर्ण नृत्य किया।

उन्होंने पद्मभूषण वेम्पति चिन्नासत्यम के नृत्यनिर्देशन में ‘दशावतार’ नृत्य से आखिरी प्रस्तुति दी। उन्हें नट्टूवंगम पर वनाश्री राव और गायन में वेंकटेश्वन कुप्पुस्वामी, मृदंग पर मनोहर बालाचंद्रन, वायलिन पर जी. राघवेंद्र प्रसाद और बांसुरी पर रजत प्रसन्ना ने संगत दी।

जाने-माने कवि और रजा फाउण्डेशन के न्यासी प्रबंधक अशोक वाजपेयी ने कहा, “युवा शास्त्रीय जैसे कार्यक्रम से रजा फाउंडेशन ने संस्था को विकसित करने के पर्याप्त अवसर देते हुए एस. एच. रजा की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। फाउंडेशन का उद्देश्य शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत की भारतीय परंपराओं को जीवित रखना है, जिसके तहत कला के लिए अपना जीवन समर्पित करने का संकल्प ले चुके युवा कलाकारों को आगे बढ़ाया जाता है।”

युवा शास्त्रीय की संध्या का आगाज पद्मभूषण डॉ. सरोजा वैद्यनाथन और रामा वैद्यनाथन के शिष्य हिमांशु श्रीवास्तव की नई भरतनाट्यम प्रस्तुति से भी हुआ। उन्होंने भगवान कृष्ण और उनकी बांसुरी पर केंद्रित ‘वेणु-बांसुरीवादक ईश्वर की तलाश’ विषय पर नृत्य प्रस्तुति दी। इसके अलावा डॉ. श्रीधर वासुदेवन, अशोक अविचंद्रन, मनोहर बालाचंद्रन और राघवेंद्र प्रसाद ने भी विभिन्न वाद्ययंत्रों पर उन्हें संगत दी।

युवा शास्त्रीय की दूसरी संध्या को दिल्ली के नृत्य एवं संगीत प्रेमियों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक अनघा भट्ट, मणिपुरी नृत्यांगना कंकणा सिंह और ओडिशी डांसर मधुर गुप्ता की प्रस्तुतियों का लुत्फ मिलेगा।

 

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