देहरादून दौरे पर मोहन भागवत, कहा- “साधारण सा कार्यकर्ता भी संघ से सवाल कर सकता है”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत अपने उत्तराखंड प्रवास के लिए सोमवार रात देहरादून पहुंच गए। वह हवाई जहाज से जौलीग्रांट एयरपोर्ट और वहां से सड़क मार्ग से रात ठीक नौ बजकर 40 मिनट पर तिलक रोड स्थित संघ मुख्यालय पर पहुंचे।
वह आठ फरवरी तक यहां रहेंगे। मंगलवार 5 फरवरी को उन्होने कला-संस्कृति एवं साहित्य से जुड़े लोगों से मुलाकात तथा एक लम्बी चर्चा की, जो करीबन 2 घण्टे चली। इस दौरान अनेक मुददो पर खुल कर चर्चा हुई। देहरादून की अग्रणी सामाजिक संस्था कूर्माचल परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार तथा महासचिव चन्द्रशेखर जोशी तथा देहरादून के विद्वान साहित्यकारो ने भी बैठक में भाग लिया, जिसमें गढवाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, स्वर कोकिला संगीता ढौडियाल, साहित्यकार डा0 बी0एन0 मिश्रा, श्रीमती भारती पाण्डे, गोरखा सुधार सभा के अध्यक्ष पदम थापा आदि थे।
प्रमुख ने समाज के प्रबुद्धजनों से देश और समाज की परिस्थितियों पर लम्बी चर्चा की। इस दौरान कूर्माचल परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार ने भागवत को कूर्माचल परिषद की ओर से श्रीबद्रीनाथ जी का मैमोन्टो भेंट किया जबकि महासचिव चन्द्रशेखर जोशी ने 2 पेज की रिपोर्ट उन्होने भेंट की साथ ही हिमालय गौरव उत्तराखण्ड का धार्मिक विशेषांक उनको भेंट किया, जिसे देखकर उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दी।
मोहन भागवत ने समाज के प्रबुद्व वर्ग से चर्चा के दौरान कहा कि संघ में कार्य ऊपर से नहीं होता, संघ मे नीचे से कार्य होता है। उन्होंने कहा कि साधारण सा संघ कार्यकर्ता भी संघ प्रमुख से सवाल कर सकता है। उन्होने कहा कि सरकार नाम का तंत्र अंग्रेजों ने अपना राज करने के लिए बनाया था।
संघ का व्यक्ति जब राजनीति में चला जाता है तो उस पर नियंत्रण के बारे में भी उन्होने बात रखी। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि नरेन्द्र भाई मोदी अच्छा आदमी बन गया, लेकिन वह संघ के आदर्श नहीं बने है, संघ के आदर्श तो हेगडेवार हैं। उन्होंने हेगडेवार द्वारा संघ कार्यकर्ताओं से गलती पूछने का भी उदाहरण देते हुए कहा कि गलती करने पर चाहे वह किसी पद पर है, वह पद पर रहने योग्य नही है। व्यक्ति कोहिनूर नहीं है। वह भटक भी जाता है। उन्होंने कहा कि संघ में ध्वज को गुरू माना जाता है।
भागवत ने कहा कि असम में 8 हजार राष्टीय स्वयं सेविका बढिया कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन नेताओं से नही आता। आज इस्राइल, जापान हमने आगे क्यों निकल गये, क्योंकि उनका समाज संगठित हुआ, समाज को एकसूत्र में बाधना पड़ेगा। भाषा बोली तो एक नही है, तो वह क्या है जो हमे जोडता है, हिन्दुत्व हमको जोडता है, उन्होने कहा कि हेगडेवार ने जो रास्ता दिखाया था संघ उसी रास्ते पर चल रहा है, उन्होने कहा कि संघ भारत में कार्य करता है, जबकि 40 देशों में हिन्दू संगठन का कार्य पंजीकरण करके शुरू किया गया है।
आपको बता दें कि मोहन भागवत का दून में प्रवास आठ फरवरी तक रहेगा। इस दौरान वह सात फरवरी तक वह रोजाना तीन बैठकों में शिरकत करेंगे। दो बैठकें समाज के विभिन्न वर्गों के प्रबुद्धजनों के साथ होंगी। जबकि शाम की पाली में वह संघ के कार्यकर्ताओं की बैठक में मुलाकात कर मार्गदर्शन देंगे।
भागवत सुबह कला-संस्कृति एवं साहित्य से जुड़े लोगों से मुलाकात करेंगे, जबकि दोपहर में प्रबुद्धजनों से। शाम को वह देहरादून महानगर में चलने वाली संघ की सभी शाखाओं के मुख्य शिक्षक और शाखा कार्यवाह के साथ बैठक करेंगे। इसी प्रकार सात फरवरी तक बैठकों का क्रम चलेगा।
इस दरम्यान वह शिक्षाविदों, इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यो, देहरादून महानगर में संघ की सभी 17 इकाइयों व देहरादून, विकासनगर, पुरोला में रहने वाले विभाग स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ ही स्नातक व परास्नातक कालेजों में छात्रों के बीच कार्य करने वाले संघ कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। आठ फरवरी को संघ प्रमुख प्रातीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करेंगे, जिसमें विभिन्न मसलों पर चर्चा होगी।