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प्रियंका की ‘संजीवनी’ से उत्तर प्रदेश में ज़िंदा हो सकती है कांग्रेस !

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेता भले ही प्रियंका गांधी को राजनीतिक चुनौती नहीं मानते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में तीन दशक से राजनीतिक ‘वनवास’ झेल रही कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी एक ‘संजीवनी’ साबित हो सकती हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि किसी समय कांग्रेस का समर्थक रहा उच्च वर्ग का मतदाता एक बार फिर भाजपा से पलटी मार सकता है, और दलित, अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाता भी कांग्रेस की तरफ लौट सकते हैं।

मुलायम सिंह यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चुके बुजुर्ग समाजवादी नेता और राजनीतिक विश्लेषक जमुना प्रसाद बोस (82) कहते हैं, “प्रियंका में इंदिरा गांधी की झलक है और वह युवाओं की पहली पसंद हैं। ऐसे में प्रियंका को कम आंकना हर किसी दल के लिए बड़ी भूल होगी। आम लोगों से मेल-मिलाप का जो तौर-तरीका प्रियंका में है, वह अखिलेश, डिंपल और राहुल में भी नहीं है।”

उन्होंने आगे बताया कि रही बात मतदाताओं की तो उच्च वर्ग, दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग कभी कांग्रेस के अंधभक्त हुआ करते थे। उच्च वर्ग अब भाजपा, दलित बसपा और अन्य पिछड़ा वर्ग एवं मुसलमान के सपा खेमे में चले जाने से यहां कांग्रेस बेहद कमजोर हुई है। लेकिन अब लगता है कि एक बार फिर कांग्रेस अपने परंपरागत मतदाताओं में पकड़ मतबूत कर सकती है।

वह कहते हैं, ” यह सच है कि दलित वर्ग के जाटव बसपा, और पिछड़ा वर्ग के यादव मतदाता सपा को तिलांजलि नहीं दे सकते। लेकिन कई दलित और पिछड़े खेमे की कौमें इन दोनों दलों से हताश हैं और वे कांग्रेस को अपना पुराना घर मान कर वापसी कर सकती हैं। सपा-बसपा का गठबंधन मुस्लिम मतों का विभाजन रोकने के लिए हुआ है, लेकिन अब प्रियंका के आने से इस वर्ग की भी स्थिति सांप-छछूंदर जैसी हो जाएगी।”

बोस आगे कहते हैं, “कुछ देर के लिए मान भी लिया जाए कि सपा-बसपा गठबंधन भाजपा को उत्तर प्रदेश में हराने की कूबत रखता है, तो भी केन्द्र में दोनों दल सरकार नहीं बना सकते। ऐसे में अल्पसंख्यक वर्ग दुविधा में रहेगा और गठबंधन के बजाय कांग्रेस उनकी पसंद हो सकती है।”

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