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आरक्षण के सरकारी झुनझुने से सावधान रहें सवर्ण : रालोद

लखनऊ, 19 जनवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सवर्णो को 10 प्रतिशत आरक्षण का झुनझुना थमाकर अपनी पीठ थपथपाने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में सवर्णो को ठगने का दिवास्वप्न देख रही है। सच तो यह है कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए इस आरक्षण का लाभ केवल केंद्र सरकार के अधीनस्थ शैक्षणिक संस्थानों और प्रतिष्ठानों तक सीमित है।

 

योगी सरकार ने अपनी कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार के उसी प्रसताव को मंजूरी दी है। प्रदेश की राजकीय सेवाओं में इसका कोई भी लाभ सवर्णो को नहीं मिल पाएगा। यह आरक्षण सिर्फ चुनावी झुनझुना है।

रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने आईपीएन से बातचीत में कहा कि गरीब सवर्णो को आरक्षण देने में केंद्र सरकार द्वारा रखे गए मानक का सबसे बड़ा फैक्टर 8 लाख से कम आमदनी वाला परिवार ही सवर्ण गरीबों में गिना जाएगा या 5 एकड़ से कम भूमि वाला किसान।

उन्होंने कहा कि इस मानक के हिसाब से यदि कोई सवर्ण राजकीय सेवाओं में है तो उसका परिवार इस आरक्षण से वंचित रहेगा और 5 एकड से कम भूमि और 1 हजार वर्ग फीट से कम आवास वाले किसान ढूंढने में भी मुश्किल से मिलेंगे। इस तरह यह साबित होता है कि यह आरक्षण केवल झुनझुना है और सवर्णो को इससे होशियार रहने की जरूरत है।

रालोद प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में होने वाले चुनावी गठबंधन से बौखला गई है और एक बार फिर प्रदेश की जनता को धोखा देने का कुचक्र रच रही है। प्रदेश सरकार की नीयत और नीति दोनों ही प्रदेशहित में नहीं है। सरकार केवल पूंजीपतियों के हाथों खेल रही है। यदि ऐसा नहीं है तो प्रत्येक विभाग में संविदा पर ही कर्मचारी क्यों नियुक्त किए जाते हैं।

त्रिवेदी ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन की भावना होना सरकार का मुख्य गुण होना चाहिए और ऐसी भावना की ही सरकार प्रदेश हित की सरकार कही जाएगी। संविदा कर्मचारियों का पूरा लाभ आउटसोर्सिग कंपनी को ही मिलता है जो किसी न किसी पूंजीपति की होती है। इसलिए गरीबों का हक छीनने वाली सरकार का पतन निश्चित रूप से होगा।

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