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#KashmiriPandits : 29 साल पहले शुरू हुआ था ‘वनवास’, सरकार को नहीं है इस कत्लेआम का जवाब

KashmiriPandits पर हुए जुल्म को 29 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन उनके जख्म अभी तक भरे नहीं हैं। कश्मीर का कोई पंडित 19 जनवरी 1990 की तारीख नहीं भूलता। 29 साल बाद भी आज वहां के पंडित कभी वापस अपने घरों में नहीं जा सके हैं और ना ही कोई सरकार पंडितों को घाटी में वापसी पर कोई कदम उठाती है।
इतने बड़े हादसे को सिर्फ युवा पीढ़ी नहीं जानती बाकी कोई ये मामला भूल नहीं पाया। बता दें कश्मीर से करीब 30 साल पहले वहां के 3 लाख पंडितों को जबरन उनके गरों से निकाला गया था। उसी वक्त बहुत से मंदिरों को तबास कर दिया गया था। वहीं सैकड़ो पंडितों ने अपनी जान तक गंवाई थी।

इसमें सबसे बड़ी बात तो ये रही की इसकी ना एसआईटी जांच हुई ना की कोई आयोग गठित किया गया। वहां के पंडितों का कहना है कि वक्त भले गुजर गया है, लेकिन जख्म अभी भर नहीं पाए हैं।

इस पर इंडिया टुडे की तरफ से आरटीआई मांगी गई, जिसमें जवाब में गृहमंत्रालय ने जावब दिया कि उसे इसके बारे में कुछ पता नहीं है। साथ ही जवाब में कहा गया कि इसके लिए जम्मू कश्मीर सरकार से जानकारी मांगी जाए क्योंकि साल 2005 में बना RTI कानून राज्य में लागू ही होता।

अब गृह मंत्रालय के इस जवाब ने कश्मीर में नए सियासी विवाद को जन्म दे दिया है। वहीं जम्मू- कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष रविंद्र शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बीजेपी सरकार की लापरवाही दर्शाता है कि उन्होंने अब तक आंकड़े नहीं जमा किए हैं।

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