सबरीमाला : केरल सरकार की सूची में महिलाओं की उम्र पर विवाद
तिरुवनंतपुरम, 18 जनवरी (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय में केरल सरकार के वकील द्वारा शुक्रवार को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली 51 महिलाओं का जिक्र किया गया, जिसमें से कुछ महिलाओं की वास्तविक उम्र को लेकर विवाद छिड़ गया है।
केरल सरकार ने कहा कि जिन महिलाओं ने मंदिर के दर्शन किए हैं, उनमें से सभी 10 से 50 वर्ष उम्र की प्रतिबंधित रजस्वला महिलाएं थीं। मंदिर में दर्शन करने के लिए 10 से 50 वर्ष की प्रतिबंधित आयुवर्ग में शामिल कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनी ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया था।
दोनों ने सर्वोच्च न्यायालय में खुद की 24 घंटे सुरक्षा को लेकर याचिका दाखिल की थी, जिसपर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने राज्य सरकार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए।
51 महिलाओं की सूची हलफनामे का हिस्सा नहीं थी, बल्कि राज्य सरकार के वकील ने अपनी बहस के दौरान इसका जिक्र किया था, लेकिन कुछ देर बाद ही यह सूची मीडिया में उजागर हो गई।
जिन 51 महिलाओं के नाम का वकील ने जिक्र किया था, उनमें से सभी के आधार नंबर और कुछ मामलों में टेलीफोन नंबर दिए हुए थे।
जब मीडिया ने इनमें से कुछ से संपर्क साधने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि वे 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं हैं, इसलिए मंदिर में दर्शन के योग्य हैं।
इस सूची में पहला नाम आंध्र प्रदेश की पद्मावती का है। सूची में उसकी उम्र 48 दिख रही है, लेकिन जब उनसे संपर्क साधा गया तो उन्होंने अपनी उम्र 55 वर्ष बताई।
इस सूची में शामिल चेन्नई की निवासी एक अन्य महिला शीला से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने मीडिया को अपनी उम्र 52 वर्ष बताई, जिसका जिक्र सूची में नहीं है।
सबरीमाला तंत्री परिवार के राहुल ईश्वर ने कहा कि केरल सरकार ने जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह किया है, वह ‘अपमानजनक’ है।
ईश्वर ने कहा, “मैंने खुद ऐसी पांच महिलाओं को बुलाया। इनमें से सभी ने कहा कि वे 50 वर्ष से अधिक उम्र की हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं तब दंग रह गया, जब इनमें से एक महिला ने कहा कि वह कभी सबरीमाला नहीं गई और जिस तरह से मंदिर की परंपराओं का उल्लंघन किया जा रहा है, उसने भी हमारे साथ प्रदर्शन करने पर सहमति जताई। यह काफी गंभीर मामला है कि केरल सरकार ऐसी सूची के साथ सामने आई है।”
पंडालम शाही परिवार के सदस्य नारायण वर्मा ने भी सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा, “इस प्रकार कुछ नहीं हुआ है, हम केवल सच्चाई को मानेंगे और जो कहा गया गया है, वह सच नहीं है।”
मंदिर में प्रवेश करने वाली बिंदु अम्मिनी ने खुद के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का शुक्रिया अदा किया।
अम्मिनी ने कहा, “मुझे पता है कि 50 वर्ष से कम उम्र की कई महिलाएं यहां आईं और उन्होंने सबरीमाला में ‘दर्शन’ किया, लेकिन डर की वजह से, वे खुले तौर पर सामने नहीं आ रही हैं।”