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ऐसा कुंभ जिसे मनुष्य चाह कर भी नहीं मना सकता, जानिए इसका पूरा सच

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आज से कुंभ का आगाज हो चुका है। मकर संक्रांति के अवसर पर कड़कती ठंड में श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ी। श्रद्धालुओं ने मध्यरात्री से ही संगम में स्नान शुरू कर दिया था।
ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज में एक बार डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं साथ ही स्वर्ग की प्राप्ति होगी, लेकिन कुंभ मनाया क्यों जाता है शायद ही कोई जानता हो। आज हम आपको बताएंगे की क्यों मनाया जाता है कुंभ। वहीं 8 कुंभ ऐसे होते हैं जो मनुष्य नहीं मना सकते, उन्हें सिर्फ देवलोक में मनाया जाता है।

कंभ का इतिहास 800 साल पुराना है और इसकी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। अमृत मंथन के बाद देवताओं और राक्षसों के बीच भयानक युद्ध हुआ जो 12 दिन तक चला। अमृत की बूंद धरती पर 4 जहग गिरी थी इसलिए पृथ्वी पर 4 जगह मनाया जाता है और चार कुंभ होते हैं वहीं 8 कुंभ देवलोक में मनाया जाता है।

इस चार स्थानों पर एक के बाद एक करके हर तीन साल पर कुंभ मनाया जाता है। इसमें पहला स्थान है प्रयाग, दूसरा हरिद्वार, तीसरी उज्जैन और चौथी नासिक।

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