दिल्ली में गेहूं से संबंधित विकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)| सीलिएक रोग के शुरुआती निदान व प्रबंधन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यहां राष्ट्रीय राजधानी में गेहूं से संबंधित विकारों पर ‘अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (आईएसडब्ल्यूडी) 2019’ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, गेहूं से संबंधित बीमारियों और ग्लूटन-फ्री जीवन शैली के विज्ञान को समझने पर केंद्रित रहा।
कार्यक्रम का आयोजन ‘द सीलिएक सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई)’ ने किया। शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय आईएसडब्ल्यूडी में दुनिया भर के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड और इजरायल के पेशेवर शामिल हैं।
सीएसआई ने एक बयान में कहा कि भारत में लगभग 60 से 80 लाख लोग सीलिएक रोग से पीड़ित हैं। यह ग्लूटन एलर्जी या इनटॉलेरेंस से अलग है। सीलिएक रोग वाले लोगों में ग्लूटेन से छोटी आंत को नुकसान पहुंच सकता है। यह एक प्रकार का ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो आनुवांशिक रूप से इस कंडीशन के शिकार लोगों में होता है।
सीलिएक सोसाइटी ऑफ इंडिया की संस्थापक अध्यक्ष इशी खोसला ने कहा, “ग्लूटन सेंसिटिविटी आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है और कई बार, इसे सीलिएक रोग के लिए भी प्रयोग कर लिया जाता है। तथ्य यह है कि कोई व्यक्ति ग्लूटन सेंसिटिव हो सकता है, भले ही उसे सीलिएक रोग न हो। हालांकि, सीलिएक रोग वाला एक व्यक्ति ग्लूटन सेंसिटिव होता है।”
उन्होंने कहा, “ग्लूटन इनटॉलेरेंस वाले लोगों में ग्लूटन को आहार से हटा लेने पर लक्षणों से राहत मिलती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ग्लूटन को केवल विशेषज्ञ से सलाह से ही बंद करना चाहिए। गेहूं के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं और गेहूं का उपयोग करके तैयार किए गए अधिकांश भोजन अन्य विकल्पों से भी बनाए जा सकते हैं। इनमें चावल, शरबत, क्विनोआ, अमरंथ, बाजरा, रागी और बकव्हीट शामिल है।”
साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड इंटरनेशनल एंड अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. टॉम ओब्रायन ने कहा, “कुछ लोग गेहूं के प्रति संवेदनशील हैं, यह भी महत्वपूर्ण है यह अनाज हमारे आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। जब तक इस तरह की स्थिति का निदान नहीं किया जाता है, तब तक इसे भोजन से पूरी तरह से बाहर करना अच्छा नहीं है।”
उन्होंने कहा, “सीलिएक रोग या ग्लूटन संवेदनशीलता वाले लोगों को, गेहूं, राई, सूजी, ड्यूरम, माल्ट और जौ जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए। खरीदते समय उत्पादों के पीछे लेबल की जांच कर लें, ताकि यह समझ सकें कि उत्पाद में ग्लूटन मौजूद है या नहीं। ग्लूटन युक्त पैक्ड फूड के कुछ उदाहरणों में डिब्बाबंद सूप, मसाले, सलाद ड्रेसिंग, कैंडी, पास्ता आदि शामिल हैं।”
आईएसडब्ल्यूडी के आयोजन सचिव सरथ गोपालन ने कहा, “भारत में गेहूं से संबंधित विकारों के बारे में अधिक जागरूकता नहीं है। उदाहरण के लिए जिन लोगों को सीलिएक रोग का पता चला है, उनमें से कई को अपने आहार में सुधार करने के लिए ज्ञान की कमी है। इस आयोजन का उद्देश्य इस प्रकार के सभी पहलुओं और इस कंडीशन के अन्य तरीकों को समझने के लिए आगे बढ़ने के तरीकों पर चर्चा करना है।”