IANS

गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर गुरुद्वारों में उमड़ी भीड़

चंडीगढ़, 13 जनवरी (आईएएनएस)| सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की 352वीं जयंती के मौके पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पटना और देशभर में अन्य जगहों पर हजारों सिख श्रद्धालु रविवार को मत्था टेकने और प्रार्थना करने के लिए गुरुद्वारों में उमड़े।
 

संयोग से इस वर्ष ‘लोहड़ी’ पर्व के दिन ही गुरु गोबिंद सिंह की जयंती है।

गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) ने 1699 में ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी।

स्वर्ण मंदिर के नाम से लोकप्रिय अमृतसर के प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल ‘हरमंदिर साहिब’ और अन्य गुरुद्वारों में गुरु की जयंती मनाने के लिए सिख श्रद्धालुओं के बीच उत्साह देखा गया।

सुबह से ही मत्था टेकने के लिए अधिकांश गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी।

मत्था टेकने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। पूरे स्वर्ण मंदिर परिसर को विशेष रोशनी से सजाया गया है।

यहां से लगभग 85 किलोमीटर दूर आनंदपुर साहिब में तख्त केशगढ़ साहिब गुरुद्वारे में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ गई। यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह ने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी।

बिहार के पटना में भी गुरुद्वारा जन्मस्थान में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। चंडीगढ़ से सटे पंचकुला में गुरुद्वारा नादा साहिब में सैकड़ों लोगों ने मत्था टेका जहां गुरु अपने जीवनकाल में कुछ दिनों के लिए रहे थे।

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के गुरुद्वारों को गुरु की जयंती के अवसर पर सजाया गया है। जयंती के जश्न के तौर पर शुक्रवार और शनिवार को इस क्षेत्र में सभी स्थानों पर धार्मिक जुलूस निकाले गए।

राज्य में हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं के मद्देनजर पंजाब के सभी प्रमुख सिख मंदिरों के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। स्वर्ण मंदिर परिसर में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के टास्क फोर्स के सदस्यों और स्वयंसेवकों ने मंदिर परिसर के अंदर कड़ी निगरानी की व्यवस्था कर रखी है।

शहरों, कस्बों और गांवों के अन्य गुरुद्वारों में, सैकड़ों लोगों को मत्था टेकते देखा जा सकता है। अधिकांश गुरुद्वारों में ‘लंगर’ की व्यवस्था की गई है।

पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी और उनसे गुरु की शिक्षाओं का पालन करने और शांति व सद्भाव बनाए रखने का आग्रह किया।

 

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close