हरियाणा सरकार को ढींगरा आयोग की रिपोर्ट जारी करने से रोका
चंडीगढ़, 10 जनवरी (आईएएनएस)| हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा को राहत देते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हरियाणा सरकार द्वारा गुरुग्राम में कथित जमीन घोटाले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को जारी करने पर रोक लगा दी।
रिपोर्ट की सीलबंद प्रति देखने वाली खंडपीठ ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट को इस तरह लागू नहीं किया जा सकता। अदालत ने हालांकि कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा आयोग का गठन दुर्भावनापूर्ण नहीं था।
इस मामले में दोनों न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. मित्तल और न्यायमूर्ति ए.एस. ग्रेवाल के आदेशों में मतभिन्नता है।
पीठ ने अगले आदेश के लिए मामले को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया।
पीठ ने यह तो पाया कि आयोग गठित करने में प्रक्रिया का पालन सही तरीके से हुआ लेकिन कहा कि हुड्डा और अन्य लोगों को कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट 1952 की धारा 8 (बी) के तहत नोटिस नहीं भेजे गए जो कि अनिवार्य है।
न्यायमूर्ति मित्तल ने कहा कि आयोग द्वारा हुड्डा को नया नोटिस जारी किया जा सकता है लेकिन न्यायमूर्ति ग्रेवाल ने चिन्हित किया कि चूंकि आयोग का अस्तित्व समाप्त हो गया है, इसलिए सरकार एक नया आयोग गठित कर सकती है।
पीठ ने कहा कि हरियाणा सरकार वर्तमान रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं कर सकती।
गुरुग्राम में मुख्य व्यावसायिक संपत्तियों के लिए विवादास्पद लाइसेंस प्रदान करने की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा आयोग का गठन मई 2015 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली भाजपा सरकार द्वारा किया गया था। इनमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा की संपत्ति का मामला भी शामिल है।
आयोग ने अपनी 182 पन्नों की रिपोर्ट 31 अगस्त 2106 को खट्टर सरकार को सौंपी थी।