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बिहार : साहित्यकार डॉ़ दीननाथ सिंह का निधन

मुंगेर, 3 जनवरी (आईएएनएस)| बिहार के जाने-माने साहित्यकार, समीक्षक और शिक्षाविद् डॉ़ दीननाथ सिंह का बुधवार की रात मुंगेर के दुर्गापुर स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। उनके निधन से साहित्य और शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई। सिंह के परिजनों के मुताबिक, दुर्गापुर आवास पर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही अंतिम दर्शन को लोग उनके आवास पर पहुंचने लगे। गुरुवार को दुर्गापुर के गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

डॉ. सिंह ने भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपकुलपति राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के दौर में टी़ एऩ बी कॉलेज में 4 सितंबर, 1961 को व्याख्याता पद पर पहली नियुक्ति से अपनी सेवा का शुभारंभ किया और आरा स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होकर अपने जन्मस्थान दुर्गापुर में ज्ञान की रोशनी बांटने लगे।

उन्होंने अपने निर्देशन में लगभग 50 छात्र-छात्राओं को पीएचडी करवाया।

साहित्यिक दुनिया में उन्हें बेबाक व निर्भीक समीक्षक माना जाता था। उनकी चर्चित कृतियां हैं ‘छायावादोत्तर प्रबंध शिल्प’, ‘काव्य-प्रवृत्तियां : भारतीय और पाश्चात्य’, ‘कामायनी का काव्यशास्त्रीय अनुशीलन’, ‘गांव से चिट्ठी आई है’, ‘इतिहास में लिखा है दोस्ती’ तथा ‘आधुनिक भारत के निर्माता’।

जीवन के अंतिम समय में उन्होंने ‘आधुनिक हिंदी कविता के सौ वर्ष’ नामक ग्रंथ की रचना की थी।

उनके निधन पर मुंगेर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राणा गौरी शंकर, सचिव संतोष सहाय, स्वतंत्र पत्रकार कुमार कृष्णन, सुजीत मिश्रा, प्रशांत कुमार, वीरेंद्र सिंह, त्रिपुरारी मिश्रा, नील कमल श्रीवास्तव, ओम प्रकाश प्रियंवद, साहित्यकार शिवनंदन सलिल, यदुनंदन झा, मृदुला झा, अनिरुद्ध सिन्हा, प्रो़ शब्बीर हसन, मधुसूदन आत्मीय सहित अन्य ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

 

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