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livein partner से संबंध बनाना अब RAPE नहीं : उच्चतम न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि livein में रह रहे पार्टनर अगर सहमति से संबंध बनाते हैं, तो उसे बलात्कार नहीं माना जाएगा। अगर प्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण महिला से शादी करने में नाकाम रहता है, तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा।

शीर्ष अदालत ने एक नर्स द्वारा एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करते हुए कहा कि “दोनों कुछ समय तक लिव इन पार्टनर थे।

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“न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने हाल में दिए गए एक फैसले में कहा, “बलात्कार और सहमति से बनाए गए यौन संबंध के बीच स्पष्ट अंतर है। इस तरह के मामलों को अदालत को पूरी तरह से सतर्कता से परखना चाहिए कि क्या शिकायतकर्ता वास्तव में पीड़िता से शादी करना चाहता था या उसकी गलत मंथा थी। साथ ही कहीं अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए उसने झूठा वादा तो नहीं किया था क्योंकि गलत मंशा या झूठा वादा करना ठगी या धोखा करना होता है।”

पीठ ने ये भी कहा कि, “अगर आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन इच्छा की पूर्ति के एकमात्र उद्देश्य से वादा नहीं किया है तो इस तरह का काम बलात्कार नहीं माना जाएगा।”

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