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मप्र में अफसर करेंगे योजना की घोषणा : कमलनाथ

छिंदवाड़ा, 30 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को यहां कहा कि राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री योजना की घोषणा नहीं करेंगे, बल्कि संबंधित विभाग करेगा, क्योंकि योजना पूरी करने की जिम्मेदारी उसी अधिकारी पर होगी। संभवत: मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां अफसर योजना की घोषणा करेंगे।

मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ रविवार को पहली बार छिंदवाड़ा पहुंचे। उन्होंने रोड शो के बाद पोला ग्राउंड में जनसभा को संबोधित किया, और इस दौरान वह कई बार भाव-विह्वल हो गए।

कमलनाथ ने कहा, “जनता घोषणाओं से थक चुकी है, इसलिए अब मैं कोई घोषणा नहीं करूंगा। जिम्मेदार अधिकारी होने वाले कायरें की संपूर्ण जानकारी देंगे और कार्य के पूरा होने की समय सीमा भी बताएंगे।”

कमलनाथ की नई व्यवस्था का असर भी इस सभा में दिखा। जिलाधिकारी डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने सभा में जिले में भविष्य के लिए स्वीकृत विकास और जनकल्याणकारी कायरें की जानकारी दी। उन्होंने कार्य की लागत और पूर्ण होने की समय सीमा भी बताई।

कमलनाथ ने जनसभा में छिंदवाड़ा के साथ अपने रिश्ते को याद करते हुए कहा, “संसद में जब मैं बैठता हूं, तो दूसरे सांसदों की ओर देखता हूं। वे लोगों का वोट लेकर आए हैं, मैं केवल वोट लेकर नहीं आता, बल्कि प्यार और विश्वास लेकर संसद में बैठता हूं।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कमलनाथ ने कहा कि वह आज जहां हैं, वहां तक पहुंचाने का छिंदवाड़ा के हर नागरिक को श्रेय जाता है। “40 साल पहले का छिंदवाड़ा कुछ और था और आज कुछ और है। छिंदवाड़ा की अपनी पहचान है।”

कमलनाथ ने बीते 38 सालों में छिंदवाड़ा में हुए विकास कायरें का ब्यौर दिया और कहा, “यहां के नौजवानों ने वह छिंदवाड़ा नहीं देखा, जहां एक भी रेल नहीं आती थी। पातालकोट में तीन घंटे पैदल चलने पर ही नीचे पहुंच पाते थे। वहां के निवासी पहले सिर्फ नमक लेने बाहर आते थे, उन्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं था। आम की गुठली से आटा बनाते थे, महुआ के फूल की शराब पीते थे। उनके तन पर जरूरी कपड़े तक नहीं हुआ करते थे, मगर अब वे जीन्स पहनने लगे हैं। जीप आती थी तो उसे देखने भागते थे, अब जीप आने पर उन्हें धूल का डर सताता है। इतना बदलाव आ गया है यहां।”

कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के युवाओं को प्रशिक्षित और हुनरमंद बनाने के लिए किए गए प्रयासों का जिक्र किया और कहा कि छिंदवाड़ा में जितने कौशल केंद्र हैं, उतने दुनिया के किसी भी जिले में नहीं हैं।

 

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