कमलनाथ के पास बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने का सुनहरा मौका : सत्यव्रत (साक्षात्कार)
छतरपुर (मप्र), 27 दिसंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी को भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह चौहान सरकार के काल में बुंदेलखंड की हुई उपेक्षा का बेहद मलाल है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने का सुनहरा अवसर है। उनके पास नजरिया है, अनुभव है और बेहतर प्रयास का अवसर है, जिसके जरिए वे वह सब कर सकते हैं जो यहां की जरूरत है।
पूर्व सांसद चतुर्वेदी ने आईएएनएस से खास बातचीत में अपने चार दशक के राजनीतिक अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “विधायक, मंत्री और सासंद रहते हुए इस क्षेत्र के हालात बदलने के लिए जो कर सकता था, किया। विरोधी सरकारों से विभिन्न स्तर पर लड़ाइयां भी लड़ीं, तत्कालीन केंद्रीय उर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोग से छतरपुर जिले के बरेठी में नेशनल थर्मल पावर कंपनी (एनटीपीसी) का सुपर थर्मल पावर स्टेशन स्थापित करने का शिलान्यास हुआ। पहले चरण में 28,000 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च किया जाना था।”
चतुर्वेदी का आरोप है कि केंद्र की सरकार बदलते ही बुंदेलखंड के हालात को बदलने वाली इस परियोजना को ही बंद करने का फैसला ले लिया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सब इसलिए हो गया, क्योंकि राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकारें थीं।
उन्होंने कहा, “अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है, लिहाजा मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस संयंत्र को शुरू कराने की लड़ाई लड़नी चाहिए। इस संदर्भ में मैं स्वयं कमलनाथ से मुलाकात करूंगा।”
एक सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा कि बुंदेलखंड की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है, कृषि के लिए जरूरत पानी की होती है, इस क्षेत्र में पानी का संकट सबसे ज्यादा होता है, इसे ध्यान में रखकर तीन बड़ी परियोजनाओं पर उर्मिल, बरियारपुर व सिंहपुर में काम हुआ और उसमें सफलता मिली, जिससे बड़े क्षेत्र में सिंचाई हो सकी। उसके बाद परिवहन के लिए रेल मार्ग तैयार हुआ।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए चतुर्वेदी कहते हैं, “किसी क्षेत्र का औद्योगिकीकरण तभी हो सकता था, जब परिवहन के साथ ऊर्जा की उपलब्धता हो। बुंदेलखंड में परिवहन सुविधा के बाद ऊर्जा उपलब्ध कराने के प्रयास तेज हुए थे। रेलमार्ग और अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा खजुराहो में होने के बाद ऊर्जा के लिए एनटीपीसी का संयंत्र लाया गया, शिलान्यास हो गया, जमीन अधिग्रहण हो गया। परिवहन और ऊर्जा की उपलब्धता से उद्योग घरानों के लिए आने का रास्ता साफ हो जाता, क्योंकि उनकी बड़ी दो जरूरतें पूरी हो जातीं।”
उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ छतरपुर जिले ही नहीं, पूरे बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने का एक विजन लेकर वे चले, पहले खेती को पानी मिले इसके प्रयास किए, फिर परिवहन के लिए रेलमार्ग और हवाईसेवा पर ध्यान दिया, उसके बाद उद्योगों के लिए सबसे जरूरी ऊर्जा के इंतजाम की पहल की। इसके लिए एनटीपीसी लाए। यहां एनटीपीसी स्थापित होने के बाद दूसरे इस्पात, सीमेंट सहित कई उद्योग आ सकते थे, मगर अफसोस है कि भाजपा सरकारों ने इस क्षेत्र को उसके हक से वंचित कर दिया।
राज्य में सरकार बदलने से चतुर्वेदी की उम्मीद जागी है। उनका कहना है कि कमलनाथ एक अनुभवी राजनेता हैं, उनकी औद्योगिक विकास पर गहरी समझ है। इसके चलते उन्हें छतरपुर के एनटीपीसी संयंत्र को स्थापित करने की केंद्र सरकार से लड़ाई लड़नी चाहिए। वे (चतुर्वेदी) खुद इस मसले पर कमलनाथ से चर्चा करेंगे।
चतुर्वेदी ने कहा कि कमलनाथ का औद्योगिक विकास के प्रति नजरिया साफ है, कमलनाथ स्वयं बुनियादी तौर पर उद्योगपति हैं। वे जानते हैं कि उद्योग लगने से क्या बदलाव आ सकता है। उद्योगों की जरूरत को वे जानते हैं, लिहाजा उम्मीद है कि वे यहां के विकास के लिए बेहतर पहल करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि एनटीपीसी के स्थापित होने से इस क्षेत्र में आनेवाले आर्थिक बदलाव की कल्पना नहीं की जा सकती। यहां एक तरफ जहां लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं आर्थिक संपन्नता के द्वारा भी खुलेंगे। वहीं पलायन जैसी समस्या को काफी हद तक रोका जा सकेगा। बाजार की हालत सुधरेगी।
उनका मानना है कि एनटीपीसी इस क्षेत्र के विकास के लिए ऐसा मील का पत्थर है, जो इस क्षेत्र की तस्वीर के साथ नई पीढ़ी की तकदीर बदलने वाला है। अब जरूरत इस बात की है कि राज्य सरकार एनटीपीसी की बंद हो चुकी फाइल को फिर से खोलने के लिए लड़ाई लड़े।