दोनों कानों से सुनने में अक्षम 8 महीने के बच्चे की सफल सर्जरी
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में दोनों कानों से सुनने में अक्षम आठ महीने के बच्चे की कॉक्लियर इम्प्लान्ट की मदद से सफल सर्जरी की गई। इस सर्जरी के साथ यह बच्चा एन7 डिवाइस से युक्त बाईलेटरल साईमलटेनियस कॉक्लियर इम्प्लान्ट का इस्तेमाल करने वाला देश का सबसे कम उम्र का मरीज बन गया है। नई दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के ईएनटी स्पेशललिस्ट/ ओटोहीनोलैरिंजोलोजिस्ट के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. अमित किशोर ने कहा, “इतनी कम उम्र में अगर किसी बच्चे को ठीक से सुनाई न दे तो जल्द से जल्द इलाज करना बहुत जरूरी होता है।”
उन्होंने कहा, “इस बच्चे के मामले में कॉक्लियर इम्प्लान्ट की मदद से ही ऐसा संभव था। इस मामले में हमें बाईलेटरल साइमलटेनियस कॉक्लियर इम्प्लान्ट का इस्तेमाल करना था, यानी दोनों कानों में एक साथ इम्प्लान्टेशन करना जरूरी था।”
उन्होंने कहा, “आठ महीने और मात्र 10 किलो वजन के छोटे बच्चे में इस तरह की सर्जरी के लिए खास विशेषज्ञता की जरूरत होती है। इसीलिए लोग इतने छोटे बच्चों की सर्जरी करवाने से घबराते हैं। हालांकि तकरीबन 1,000 कॉक्लियर इम्प्लान्ट्स के अनुभव के साथ हम इतने छोटे बच्चे में इस तरह की सर्जरी करने में सक्षम हैं।”
उन्होंने बताया कि बच्चे के माता-पिता ने आधुनिक कॉक्लियर इम्प्लान्ट न्युक्लियस 7 (एन7) डिवाइसेज लगवाने का फैसला लिया। इसी के साथ यह बच्चा एन7 डिवाइस से युक्त बाईलेटरल साईमलटेनियस कॉक्लियर इम्प्लान्ट का इस्तेमाल करने वाला देश का सबसे कम उम्र का मरीज बन गया है।
डॉ किशोर ने बताया, “वह संभवतया देश में सबसे कम उम्र का मरीज है जिसमें बाईलेटरल साइमलटेनियस कॉक्लियर इम्प्लान्ट किया गया है और निश्चित रूप से अपोलो के बाइेटरल कॉक्लियर इम्प्लान्ट प्रोग्राम का भी सबसे छोटा मरीज है।”
डॉ किशोर ने बताया कि इम्प्लान्टेशन सर्जरी में किसी तरह की जटिलता नहीं रही, सर्जरी बिल्कुल ठीक हुई। सर्जरी के बाद ऑडियोलोजिस्ट्स ने एसपीहियर क्लिनिक में एन7 डिवाइसेज को बदला है, जहां उसे हियरिंग और स्पीच थेरेपी भी दी जा रही है।