टीटागढ़ वैगंस ने पहला रिसर्च वेसल सागर तारा लांच किया
कोलकाता, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)| सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के तहत टीटागढ़ समूह की कंपनी टीटागढ़ वैगंस लि. ने बुधवार को पहले कोस्टल रिसर्च वेसल (तटीय शोध जहाज) सागर तारा को सफलतापूर्वक लांच किया। कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह वेसल भू-विज्ञान मंत्रालय की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के लिए बनाया गया है।
जटिल संरचना के बावजूद यह वेसल बुधवार को नियत समय से 3 माह पहले उतारा गया, जिससे वैज्ञानिक विभिन्न ओशेनोग्राफिक रिसर्च मिशनों पर काम कर सकेंगे। ‘सागर तारा’ में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं होंगी, जिनमें आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण होंगे। इसमें एक ड्रॉप कील है, जिसका डिजाइन और उत्पादन देश में पहली बार किया गया है। यह वेसल ऑटो पायलट और डीपी1 सक्षमता से सुसज्जित है।
बयान में कहा गया कि साल 2017 के फरवरी में टीटागढ़ ने 100 करोड़ रुपये के दो उच्चस्तरीय कोस्टल रिसर्च वेसल के डिजाइन, निर्माण और आपूर्ति के लिए भू-विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
लांचिंग के मौके केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान और पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “यह भारत के तटीय शोध के इतिहास में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। निजी क्षेत्र सरकार के साथ मिलकर ‘मेक इन इंडिया’ को गति दे रहा है। मैं इस परियोजना से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूं।”
भू-विज्ञान मंत्रालय के सचिव, ईएसएसओ के अध्यक्ष और पृथ्वी आयोग के अध्यक्ष डॉ. माधवन नायर ने कहा, “देश की तटीय और समुद्री शोध क्षमताओं को बढ़ाना हमेशा से सरकार की प्राथमिकता रही है। एनआईओटी के मालिकाना हक वाले इस नए वेसल से हमारी शोध क्षमता उन्नत होगी और देश तथा नागरिकों को बहुआयामी लाभ होगा।”
टीटागढ़ वैगंस लि. के कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश प्रसाद चौधरी ने कहा, “आज (बुधवार) टीटागढ़ में हमारे पास रिकॉर्ड समय में तीन जहाज लांच करने की अनूठी उपलब्धि है। एनआईओटी के लिए दो कोस्टल रिसर्च वेसल्स में से एक को आज (बुधवार) लांच किया गया है, जो इंडियन मैरिटाइम और ओशेनिक स्टडी में शोध क्षमताओं को मजबूत करेगा। ये रिसर्च वेसल्स अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से निर्मित किए गए हैं और इनमें सबसे आधुनिक उपकरण हैं।”
टीटागढ़ वैगंस लि. के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक उमेश चौधरी ने कहा, “टीडब्ल्यूएल ने पिछले वर्ष ही अत्यधिक जटिल वेसल्स के लिए भारतीय नौसेना और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी से दो महत्वपूर्ण आर्डर्स के साथ जहाज निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश किया था। हमारी टीम ने रिकॉर्ड समय में परियोजना पूरी करने के लिए निरंतर कार्य किया है। यह हमारे लिए संतोष का क्षण है कि एक कंपनी के तौर पर हम भारत की जलीय सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं और शोध प्रौद्योगिकी के मिश्रण में सहायता कर रहे हैं।”
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशेन टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. एम. ए. आत्मानंद ने कहा, “इन अत्यंत जटिल और उन्नत प्रौद्योगिकी वाले वेसल्स में टीटागढ़ का योगदान जहाज निर्माण में कंपनी की दक्षता का प्रमाण है।”