मप्र में नेताओं के कोटा ने रोका दिग्गजों का रास्ता
भोपाल, 25 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल में 28 मंत्री शामिल किए गए हैं, मगर कुछ ऐसे दिग्गजों के नाम इस सूची से बाहर रहे, जिनका मंत्री बनना तय माना जा रहा था।
दिग्गजों के मंत्री न बन पाने की वजह नेताओं के कोटा को माना जा रहा है। कमलनाथ की सरकार का क्रिसमस के दिन गठन हो ही गया। कई दिन से चली आ रही तनातनी के बाद 28 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह मिली। इस सूची में वरिष्ठ नेता के.पी. सिंह, एदल सिंह कंसाना व एन.पी. प्रजापति का नाम न होने की हर तरफ चर्चा है। के.पी. सिंह और प्रजापति में से किसी एक को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
इन नेताओं की निष्ठा राज्य के बड़े नेताओं के प्रति ज्यादा है। के.पी. सिंह और एदल सिंह कंसाना को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है, जबकि प्रजापति को कमलनाथ का करीबी गिना जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर इन नेताओं का रास्ता किसने रोका है।
सूत्रों का दावा है कि राज्य की सियासत में कांग्रेस में इस समय प्रमुख गुट कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया है। तीनों ही गुट ने अपने-अपने समर्थकों को मंत्री बनाने की सूची पार्टी हाईकमान तक भेजी। हाईकमान ने तीनों ही गुट का कोटा तय कर दिया, जिसके चलते इन तीन दिग्गजों की राह कांटों भरी हो गई।
राज्य में बने 28 मंत्रियों की सूची सामने आई है, जिसमें कमलनाथ के नौ समर्थक, दिग्विजय सिंह खेमे से सात, सिंधिया खेमे से सात, अरुण यादव खेमे के एक और चार राहुल गांधी समर्थक शामिल हैं।