लखनऊ के लोकभवन में लगेगी अटल की 25 मीटर की प्रतिमा
लखनऊ, 25 दिसंबर (आईएनएस)। भारत रत्न व पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी के लोकभवन में विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकभवन में अटलजी की 25 मीटर की प्रतिमा लगाने का फैसला किया गया है।
विचार गोष्ठी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने भाग लिया।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिवंगत अटलजी से जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के साथ प्रदेश का हर व्यक्ति अटल जी के व्यक्तित्व से परिचित था। वह तो राजनीति के विलक्षण व्यक्तित्व थे। राजनाथ ने कहा कि लंबे समय तक पास में रहकर काम करने का अवसर मिला।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए व्यवहार, आचरण और कार्यशैली अटल जी से सीखने की जरूरत है। अटल जी की नाराजगी भी स्नेहिल होती थी। कूटनीति के मैदान के साथ-साथ युद्ध के मैदान में भी उन्होनें विजय प्राप्त की। अटलजी के सान्निध्य में जाने पर दलों के बंधन भी टूट जाते थे। उन्होंने कहा कि अटल जी जैसा नेता बिरले ही मिलते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि देश ने कारगिल युद्ध को उनके कुशल नेतृत्व में जीता था। उनकी बेहद कुटनीतिक चाल से भारत ने कारगिल युद्ध में बड़ी विजय हासिल की। बेहद मुश्किल जंग को उनके ही दम पर हमने आसान बना लिया। उन्होंने कहा कि अटलजी जैसा राजनेता कोई नहीं है। उनके जैसा न कोई था और ना ही कोई होगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “लोकभवन में हमने 25 मीटर की प्रतिमा लगाने का फैसला किया गया है। आज सुशासन दिवस के मौके पर विशेष कार्ययोजना बनाई गई है। सुशासन दिवस के मौके पर सभी विकास खंडों में राशन कार्ड बनाने के शिविर लगाए जा रहे हैं। आज आयुष्मान भारत योजना का लाभ हर गरीबों तक पहुचाने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं। हर एक विधवा और दिव्यांग को पेंशन के लिए भी यूपी के सभी 832 खंडों में कैंप लगेंगे। प्रदेश के हर अस्पताल में आज अटल जी के स्मृति में स्वास्थ्य मेला लगा है।”
उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तर प्रदेश से अटूट संबंध था। सार्वजनिक जीवन की शुरूआत उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से किया तथा पांच बार लखनऊ से सांसद रहे। सुशासन के आधार नींव थे अटल जी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी से उन्होंने राजनीति के गुण सीखें तथा राजनीति में विश्वास के प्रतीक बनें।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि अटल जी प्रिय और अप्रिय से सर्वथा मुक्त व्यक्तित्व के मालिक थे। अपने हास्य और विनोद के माध्यम से माहौल बनाना उनकी कुशलता थी। उन्होंने कहा कि अटलजी के डांट में भी प्रेम होता था। उनका व्यक्तित्व विराट था।