सरकार उल्फा के साथ शांति वार्ता में कर रही टाल-मटोल : राजखोवा
अगरतला, 22 दिसंबर (आईएएनएस)| उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम से शांति वार्ता करने में टाल-मटोल कर रही है। राजखोवा ने मीडिया से कहा, “केंद्र सरकार का टाल-मटोल वाला रवैया हमें हमारे नकारात्मक सोच की ओर धकेल रहा है।”
उन्होंने कहा कि उल्फा बंगाली विरोधी संगठन नहीं है और कहा कि सरकार ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति अपना रही है।
राजखोवा व एक अन्य उल्फा नेता फनिंदर मेधी शुक्रवार को जनजातीय पर्व ‘तरिंग’ में शामिल होने के लिए अगरतला में मौजूद थे। इनलोगों ने आत्मसमर्पण करने वाले त्रिपुरा के उग्रवादियों से भी मुलाकात की।
तरिंग जनजातियों के नववर्ष का त्योहार है, जिसे हर वर्ष पूरे राज्य में 22 दिसंबर को मनाया जाता है।
राजखोवा ने कहा कि अगर सरकार पूर्व उग्रवादियों के आत्मसमर्पण पैकेज को लागू नहीं करती है तो वे एक बार फिर ‘जंगल की ओर लौट जाएंगे।’
राजखोवा समेत संगठन के कुछ सदस्यों के 2009 में बांग्लादेश में पकड़े जाने के बाद उल्फा दो धड़ों में बंट गया था। इनलोगों को भारतीय अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया गया था।
राजखोवा को गुवाहाटी केंद्रीय कारागार में रखा गया था और दिसंबर 2010 में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। वह 7 अप्रैल, 1979 को उल्फा के गठन के बाद से भूमिगत हो गया था।
वर्ष 2011 में शांति वार्ता में शामिल होने वाले राजखोवा ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्र और उग्रवादी संगठन के बीच वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अपील की थी।”
उल्फा के स्वंयभू ‘कमांडर-इन-चीफ’ परेश बरुआ ने संप्रभुता पर चर्चा किए बिना शांति वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया था। अप्रैल 2013 में बरुआ ने अपने समूह का नाम उल्फा (इंडिपेंडेंट) रखा था।
इस बीच, त्रिपुरा पुलिस को उल्फा अध्यक्ष अरविंद राजखोवा के दौरे के बारे में कोई सूचना नहीं है।
त्रिपुरा के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कहा, “राजखोवा के त्रिपुरा दौरे के बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। हम सही सूत्रों से इस बारे में जानकारी लेंगे।”