कंप्यूटर निगरानी संबंधी आदेश पर विपक्ष का सरकार पर हमला
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (आईएएनएस)| विपक्ष ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नीत सरकार पर निजता केअधिकार का हनन करने का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 10 खुफिया और जांच एजेंसियों तथा दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि किसी भी कंप्यूटर को भेदा जाए, उसकी निगरानी की जाए और उसे डिक्रिप्ट किया जाए।
विपक्ष ने सरकार के इस आदेश को देश को एक ‘सर्विलांस और ओर्वेलियाई स्टेट’ बनाने जैसा करार दिया है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संसद के बाहर कहा, “भाजपा सरकार इस आदेश के जरिए भारत को एक निगरानी अधीन राज्य (सर्विलांस स्टेट) में बदल रही है। यह मूलभूत अधिकारों और निजता के अधिकारों का हनन है।”
उन्होंने कहा कि यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ‘निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार है’ का सीधा उल्लंघन है।
शर्मा ने कहा, “सरकार ने इसे किया है और हम इसका पूरी मजबूती के साथ विरोध कर रहे हैं। यह सभी एजेंसियों को सभी सूचनाओं पर निगरानी रखने की असीमित शक्तियां प्रदान करता है।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर कोई हमारे कंप्यूटरों पर नजर रखने जा रहा है तो यह एक ‘ओर्वेलियन स्टेट’ है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार के इस आदेश पर ट्विटर पर निशाना साधा और कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को 10 केंद्रीय एजेंसियों को ‘किसी भी कंप्यूटर’ में तैयार, ट्रांसमिट, प्राप्त या संग्रहित ‘किसी भी सूचना’ को भेदने, उनका निरीक्षण करने और उसे डिक्रिप्ट करने की इजाजत दे दी है।”
उन्होंने कहा, “अगर यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, तब इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार के पास पहले से ही तंत्र मौजूद है। लेकिन इससे क्यों सभी आम लोगों को प्रभावित किया जाएगा? कृपया लोग अपने विचार रखें..।”
राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के नेता मनोज झा ने कहा, “हमने सीबीआई के जरिए उनकी कार्यप्रणाली को देखा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हम ओर्वेलियन स्टेट में जी रहे हैं। यह मीडिया के लिए भी चुनौती है और खतरनाक है।”
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता राम गोपाल यादव ने इसे एक ‘खतरनाक आदेश’ करार दिया और कहा कि सरकार तानाशाही के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।
यादव ने कहा, “सरकार ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद यह कदम उठाया है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि उनके हाथ में यह आदेश केवल चार महीनों के लिए है, और उसके बाद हम नई सरकार को देखेंगे। इसलिए उन्हें अपने लिए गड्ढे नहीं खोदने चाहिए।”
माकपा नेता येचुरी ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया और कहा, “क्यों सभी भारतीयों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है? सभी नागरिकों की जासूसी करने के लिए सरकार का यह आदेश असंवैधानिक है और टेलीफोन टैपिंग दिशानिर्देशों, निजता पर फैसले और आधार पर फैसले का उल्लंघन है।”
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “इस बार, निजता पर हमला। मोदी सरकार खुले आम निजता के अधिकार का हनन कर रही है और मजाक उड़ा रही है। चुनाव में हारने के बाद, अब सरकार कंप्यूटरों की ताका-झाकी करना चाहती है? एनडीए के डीएनए में बिग ब्रदर का सिंड्रोम सच में समाहित है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने ट्वीट किया, “इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को सीधे मंजूरी देना नागरिकों के अधिकारों और निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।”
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवैसी ने कहा, “मोदी ने हमारे संचार पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निगरानी रखने के लिए एक साधारण सरकारी आदेश का इस्तेमाल किया है। कौन जानता था कि जब वे ‘घर घर मोदी’ कहते थे तो इसका यह मतलब था।”