अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर से बहुत संतुष्ट हूं : गंभीर (साक्षात्कार)
नई दिल्ली, 12 दिसम्बर (आईएएनएस)| दो बार विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गम्भीर का कहना है कि वह अपने 13 साल के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर से बेहद संतुष्ट हैं।
गम्भीर 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 में वनडे विश्व कप खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा थे।
गंभीर ने 2003 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ जिस वनडे मैच से अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी, भारत ने उस मैच को 200 रनों से जीता था। हालांकि इस मैच में वह केवल 11 रन ही बना सके थे।
गंभीर इसके चार साल बाद उस समय देश के हीरो बन गए, जब 2007 में पहली बार हुए टी-20 विश्वकप फाइनल में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 54 गेंदों पर 75 रन की अहम पारी खेली थी। वह उस मैच में भारतीय टीम के सर्वोच्च स्कोरर रहे थे, जिनकी बदौलत भारत ने पांच रन से टी-20 विश्व कप खिताब जीता था।
गंभीर ने लगभग 13 साल के अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर के अनुभव याद करते हुए कहा कि वह अपने इस यादगार करियर से बेहद खुश हैं।
उन्होंने यहां रॉयल स्टैग और आईसीसी के कार्यक्रम से इतर बुधवार को आईएएनएस से कहा, “जब आप दो विश्व कप जीतने वाली टीम और दो बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे हैं तो इससे बड़ी संतुष्टि आपके लिए क्या हो सकती है।”
दिल्ली के गंभीर ने 147 वनडे मैचों की 143 पारियों में 39.68 के औसत से 5238 रन बनाए हैं। इनमें 34 अर्धशतक और 11 शतक भी शामिल हैं। नवंबर 2004 में मुंबई में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले गंभीर के नाम 58 टेस्ट मैचों में 4154 रन दर्ज हैं, जिनमें 22 अर्धशतक और नौ शतक शामिल हैं।
वह 2009 में आईसीसी टेस्ट रैकिंग में नंबर-1 बल्लेबाज रह चुके हैं। उन्होंने कहा, “एक खिलाड़ी के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है वह अपने क्रिकेट करियर में नंबर-1 टेस्ट बल्लेबाज रहा हो। इसके अलावा वह नंबर-1 टेस्ट टीम का हिस्सा रहा हो। इसके अलावा उसने दो विश्व कप जीता हो।”
गंभीर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा आईपीएल में अपनी कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स को दो बार चैम्पियन बना चुके हैं। इसके अलावा वह अपने घरेलू टीम दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली केपिटल्स) के भी कप्तान रह चुके हैं।
कप्तानी के अनुभव को साझा करते हुए बांए हाथ के पूर्व बल्लेबाज ने कहा, “अपने क्रिकेट करियर में कप्तानी के दौरान मुझे सबसे ज्यादा इस बात की खुशी रही कि मैंने पूरी ईमानदारी के अपनी कप्तानी की। ये मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है।”
करीब पांच साल तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए भारतीय क्रिकेट में जगह मिलने से तंग आकर गंभीर ने हाल ही में क्रिकेट के सभी प्रारूपों संन्यास ले लिया।
यह पृूछे जाने पर घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद राष्ट्रीय टीम के लिए आपको नजरअंदाज किया गया? गंभीर ने कहा, “आप उन्हीं चीजों को अपने नियंत्रण में कर सकते हैं, जो आपके हाथ में हैं। टीम में चयन करना चयनकर्ताओं का काम है, मेरा नहीं। एक खिलाड़ी के लिए उसका मूल काम अपने खेल पर ध्यान देना है। अगर वह बल्लेबाज है तो उसका काम रन बनाना है और अगर वह गेंदबाज है तो उसका काम विकेट लेना है।”
गंभीर 2007 विश्वकप के अलावा 2011 विश्वकप में भी भारतीय टीम के खिताबी जीत के असली सूत्रधार रहे थे जहां उन्होंने 97 रन की बहुमूल्य पारी खेली थी। उनकी इस पारी के दम पर ही भारत ने श्रीलंका से मिले 275 रनों के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया था।
यह पूछे जाने पर 97 को 100 में तब्दील नहीं कर पाने का आपको मलाल रहेगा, उन्होंने कहा, ” 97 का स्कोर 0 से अच्छा है। लेकिन विश्वकप फाइनल जैसे बड़े मैचों में कोई भी खिलाड़ी व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए नहीं खेलता है बल्कि टीम की जीत के लिए खेलता है और मुझे खुशी है कि मैं विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा हूं। मैं अपनी इस पारी और पूरे क्रिकेट करियर से बेहद संतुष्ट हूं।”
गंभीर ने भारतीय टीम की आस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने की संभावनाओं पर कहा, “इस बार की भारतीय टीम मेजबानों से ज्यादा अनुभवी है। इसका परिणाम हम सब पहले टेस्ट में देख चुके हैं। टीम इंडिया ने जिस तरह से सीरीज की शुरुआत की है उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। लेकिन अब हम सब की टीम से ज्यादा उम्मीद बढ़ गई और मुझे विश्वास है टीम इस बार कुछ अलग ही करेगी।”