विजयन ने चेन्निथला से कहा, राहुल गांधी नहीं, अमित शाह आपके नेता
तिरुवनंतपुरम, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)| केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के बीच जुबानी जंग सोमवार को और तेज हो गई। मुख्यमंत्री ने चेन्निथला से कहा कि कांग्रेस की राज्य इकाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के आदेशों का पालन कर रही है, न कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के आदेशों का। मुख्यमंत्री ने कहा कि 28 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भगवान अयप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रार्थना की इजाजत दिए जाने के फैसले के बाद राज्य में हुए विरोध प्रदर्शन दिखाते हैं कि चेन्निथला का नेता कौन है। वह राहुल गांधी नहीं, अमित शाह हैं।
विजयन, चेन्निथला द्वारा लगाए गए आरोप पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस नेता वलसान थिलंकरे को पिछले महीने सबरीमाला में प्रदर्शन के लिए खुली छूट दी गई थी।
विधानसभा के भीतर बैठक शुरू होने के चंद मिनट के भीतर हालात बिगड़ गए, जिसके कारण अध्यक्ष को आधा घंटे से भी कम समय में कार्यवाही समाप्त करनी पड़ी।
प्रश्न काल के शुरू होते ही, चेन्निथला ने कहा कि कांग्रेस, विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन के साथ सहयोग करेगी, लेकिन उन्होंने सबरीमाला कस्बे में पार्टी की मांगों को नकारने पर विजयन सरकार के अड़ियल रवैये के विरोध में कहा कि उनके तीन विधायक विधानसभा के मुख्य द्वार के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे। कांग्रेस यहां निषेधाज्ञा समाप्त करने के लिए जोर डाल रही थी।
विजयन ने तुरंत कहा कि भगवा दल और कांग्रेस के बीच कोई अंतर नहीं है। विजयन ने कहा, “भाजपा ने राज्य सचिवालय के सामने डेरा डाल दिया है और आप ने यहां इसकी शुरुआत कर दी है। यह स्पष्ट रूप से आपके भाजपा/आरएसस के साथ संबंधों को दिखाता है।”
विजयन ने कहा, “कोई भी सभी लोगों को हर वक्त धोखा नहीं दे सकता और अब आपका चेहरा उजागर हो चुका है, क्योंकि आप राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के करीबी दोस्त बन चुके हैं।”
इसके जवाब में चेन्निथला ने कहा, “सभी ने देखा कि कैसे आरएसएस नेता वलसान थिलंकरे ने नवंबर में सबरीमाला मंदिर में चीजों को संभाला था।”
अध्यक्ष ने चेन्निथला को उनकी बात खत्म करने से रोकते हुए कहा कि प्रश्न काल को बहस सत्र में तब्दील नहीं किया जा सकता।
गुस्साए विपक्षी विधायक तुरंत अध्यक्ष के आसन की ओर पहुंचे और उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी।
बढ़ते नारों को देखते हुए श्रीरामकृष्ण ने विपक्ष से अपनी कुर्सियों की तरफ लौटने को कहा और सदन को स्थगित करने के लिए मजबूर होने की चेतावनी दी।
हालात बिगड़ते देख अध्यक्ष ने मात्र 21 मिनट तक चली कार्यवाही के बाद सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया।