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सलोनी मल्लिक के कथक नृत्य ने बांधा समां

पटना, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| मिथिला संस्कृति विकास समिति के दो दिनी आयोजन विद्यापति स्मृति पर्व समारोह में कथक नृत्यांगना सलोनी मल्लिक के नृत्य ने समां बांध दिया। प्रख्यात लोकगीत गायिका शारदा सिन्हा के गाए कजरी गीत ‘सखी हे श्याम नहीं घर आयो, बदरा घिरि घिरि आयो ना’ पर सलोनी ने विप्रलब्धा राधा बनकर विभिन्न मुद्राओं व भाव-भंगिमाओं से शास्त्रीय नृत्य की अनुपम छटा बिखेरी। बिहार की राजधानी के राजीव नगर में शनिवार रात 10 बजे सलोनी मल्लिक की नृत्य प्रस्तुति हुई। इससे पहले, प्रथम सत्र में शाम 6.30 बजे रजनी पल्लवी ने गोसाउनिक गीत प्रस्तुत किया। समारोह का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में मिथिला के लोगों की सांस्कृतिक चेतना की सराहना की और 14वीं शताब्दी से लेकर अब तक जन-जन के बीच काव्यरूप में विराजमान महाकवि विद्यापति को श्रद्धांजलि अर्पित की।

समारोह के दूसरे सत्र में दामिनी मिश्रा, स्नेहा झा, रजनी पल्लवी, माधव जी, अरविंद सिंह और अमर आनंद ने मैथिली गीतों के गायन से श्रोताओं का मुग्ध किया तो सलोनी मल्लिक और अद्धिका ने कथक नृत्य से अपनी प्रतिभा की छटा बिखेरी।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के संगत कलाकारों में ढोलक पर थे जीवानंद झा निराला, तबला पर संजय ठाकुर, ऑरगन पर मनीष कुमार, हारमोनियम पर आशुतोष मिश्र और पैड पर विनीत कुमार। कार्यक्रम का संचालन अमरेश कुमार झा ने किया।

महाकवि विद्यापति को शब्दांजलि देने वालों में प्रमुख थे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, चेतना समिति के सचिव उमेश मिश्र, क्षेत्रीय विधायक संजीव चौरसिया, भाजपा प्रदेश महामंत्री सुशील चौधरी। इनके अलावा लालटुना झा और दशरथ मिश्र ने भी उद्गार प्रकट किया।

 

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