मोदी का अदालती कार्यवाही में दखल देना खतरनाक : येचुरी
अगरतला, 26 नवंबर (आईएएनएस)| मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव आयोग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और अन्य संवैधानिक निकायों को कमजोर करने के बाद अब अदालत की कार्यवाहियों में दखल दे रहे हैं।
येचुरी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि सर्वोच्च न्यायालय दबाव में है क्योंकि विपक्षी दल अदालती कार्यवाहियों में दखल दे रहे हैं। यह कहकर प्रधानमंत्री खुद और सरकार द्वारा अदालत की कार्यवाहियों में दखल दे रहे हैं। यह बहुत खतरनाक प्रवृत्ति है।”
उन्होंने कहा, “चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने अयोध्या विवाद को लेकर कानूनी प्रक्रिया को पलटने की चेतावनी दी। मोदी निराशा में इस तरह के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बयान दे रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “जो मसले अदालत के सामने हैं, उनपर किसी को कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। अयोध्या विवाद काफी संवदेनशील मसला है। कोई प्रधानमंत्री कैसे उस मसले पर टिप्पणी कर सकता है जो सर्वोच्च न्यायालय के समाने है।”
येचुरी यहां रविवार को आए थे। उन्होंने माकपा के दो दिवसीय प्रदेश सम्मेलन में हिस्सा लिया।
येचुरी ने कहा, “मोदी सरकार ने संसदीय कार्यवाही को छोटा कर दिया और यह खुल्लमखुल्ला न्यायपालिका, सीबीआई, सीवीसी, आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) और अन्य संवैधानिक व स्वायत्तशासी निकायों को कमजोर कर रही है।”
उन्होंने दावा किया कि पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में जनता का रुख भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मोदी सरकार के खिलाफ है।
माकपा नेता ने कहा, “मोदी और उनकी पार्टी द्वारा हिंदुत्व और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को प्राथमिकता देकर वोट मांगे जा रहे हैं। वे 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व किए हरेक वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 1977 की तरह पार्टियों का महागठबंधन बनेगा।
उन्होंने कहा, ” दिसंबर के दूसरे सप्ताह में संसद के आगामी सत्र से पूर्व भाजपा विरोधी दलों की दिल्ली में बैठक होगी जिसमें आगामी आम चुनाव के लिए महागठबंधन को लेकर रणनीति तलाशी जाएगी।”
येचुरी ने कहा कि 30 नवंबर को दिल्ली में किसानों की विशाल रैली होगी और भाजपा से जुड़े भारतीय मजदूर संघ को छोड़ बाकी सभी ट्रेड यूनियनों द्वारा सरकार की विफलताओं को लेकर 8-9 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल की जाएगी।