मध्य प्रदेश चुनाव : बैतूल में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा
बैतूल, 25 नवंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। इस सीट के साथ यह परंपरा सी जुड़ गई है कि जो पार्टी इसे जीतती है, राज्य के विधानसभा चुनाव में उसकी जीत होती है।
मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से और सतपुड़ा पठार पर स्थित बैतूल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। हालांकि नवगठित सापाक्स पार्टी के टिकट पर भाजपा बागी चुनाव मैदान में हैं, जिससे चुनाव और रोचक हो गया है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्व सांसद और मौजूदा विधायक 54 वर्षीय हेमंत खंडेलवाल को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने 40 वर्षीय निलय विनोद डागा को अपना उम्मीदवार बनाया है। डागा पूर्व विधायक विनोद डागा के बेटे हैं। खंडेलवाल चार बार के पूर्व सांसद विजय खंडेलवाल के बेटे हैं। विजय ने बैतूल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
सापाक्स (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक) पार्टी की टिकट पर जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष लता राजू म्हास्की पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। सापाक्स एक राजनीतिक मंच है, जहां लोग एससी/एसटी एक्ट और मौजूदा आरक्षण नीतियों का विरोध कर रहे हैं।
लता भाजपा की पूर्व पदाधिकारी हैं। वह कुन्बी समुदाय से ताल्लुक रखती है, जिसकी जनजातीय बहुल विधानसभा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। उनकी मौजूदगी ने खंडेलवाल की रातों की नींद उड़ा दी है क्योंकि लता को यहां समुदाय से अच्छा समर्थन मिल रहा है। कुल 13 उम्मीदवार यहां से चुनाव मैदान में हैं।
प्रबंधन में परास्नातक और आईटीआई डिप्लोमा रखने वाले अशोक कुमार रघुवंशी मात्र तीन हजार रुपये महीना कमाते हैं। वह अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं और अपने परिवार के मुखिया हैं। उन्होंने दावा किया जिले के युवा महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में नौकरियों की तलाश में पलायन कर रहे हैं।
रघुवंशी ने आईएएनएस को बताया, “यहां बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां कोई उद्योग नहीं है। लगभग सभी खदानें बंद हो चुकी हैं। नौकरियों की कमी स्थानीय लोगों के व्यापार को प्रभावित कर रही हैं। जब लोगों के पास पैसे नहीं होंगे तो खरीदेंगे क्या? लोगों के पास अपनी रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे नहीं हैं, कैसे वह कुछ खरीदेंगे?”
वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम राठौड़ ने भी स्वीकारा की बेरोजगारी का मुद्दा भाजपा का पीछा कर रहा है क्योंकि वह इसका समाधान निकालने में विफल रही है। उन्होंने कहा, “हालांकि पीने के पानी का मुद्दा भाजपा द्वारा हल कर दिया गया है लेकिन बेरोजगारी उन्हें लगातार परेशान कर रही है।”
उन्होंने कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
कांग्रेस के डागा और म्हास्की अपने चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी का मुद्दा उठा चुके हैं जबकि खंडेलवाल प्रशासन द्वारा किए गए विकास कार्यो की दुहाई दे रहे हैं। म्हास्की अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों पर वंश की राजनीति का मुद्दा बनाकर हमला कर रही हैं और बैतूल को वंश की राजनीति से मुक्त करने का आह्वान कर रही हैं।
अपने कार्यो के बारे में खंडेलवाल ने कहा कि नई कलेक्टर इमारत और आरटीओ कार्यालय का निर्माण किया गया और जिला अस्पताल की नई इमारत बनकर तैयार है। विधायक ने दावा किया कि उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने और जल संरक्षण के लिए कई पहल शुरू की हैं।
एक अन्य युवा मनोज देशमुख ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों के उम्मीदवार मजबूत हैं और मुकाबला कांटे का रहने वाला है।
उसने यह भी कहा कि सापाक्स का उम्मीदवार जीतेगा नहीं लेकिन उसमें भाजपा उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है।
2013 विधानसभा चुनाव में हेमंत खंडेलवाल ने कांग्रेस के हेमंत वागाड्रे को 24,347 मतों से हराकर जीत हासिल की थी। खंडेलवाल को 82,949 वोट हासिल हुए थे, जबकि वागाड्रे को 58,602 वोट मिले थे।
भाजपा मध्य प्रदेश में 2003 से सत्ता में है। बैतूल से 1993 और 1998 में कांग्रेस उम्मीवार ने जीत दर्ज की थी और राज्य में दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में सरकार बनाई थी।
1980 के विधानसभा चुनाव के अपवाद को छोड़कर, हमेशा यही होता रहा है कि जिस पार्टी को बैतूल में जीत मिलती है, राज्य की सत्ता उसी के हिस्से में आती है।
यहां रोजगार दफ्तर में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या 2015 में 15.6 लाख थी, जो 2017 में लगभग 53 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 23.7 लाख पहुंच गई।