IANS

बिंदु शर्मा ने भरतनाट्यम की कई विधाओं से समां बांधा

 नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)| प्रख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना गुरु गीता चन्द्रन की शिष्या बिंदू शर्मा बिंदु ने रविवार की शाम भरतनाट्यम की कई विधाओं से लोगों को मुग्ध किया।

 भगवान श्रीकृष्ण के लिए भक्तिरस में डूबी उनकी प्रस्तुति ने सभी को विभोर कर दिया। बिंदू शर्मा ने ‘पुष्पांजलि’ के माध्यम से ईश्वर, गुरु और उपस्थित लोगों को नमन करते हुए नृत्य की शुरुआत की। मां सरस्वती की अर्चना में श्लोक गायन के बाद ‘भक्ति वरनम’ पर उनकी प्रस्तुति ने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

मौका था नाट्य वृक्ष द्वारा संस्थापक-अध्यक्ष व प्रख्यात नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन के नेतृत्व में आयोजित संध्या का। चिन्मया मिशन ऑडिटोरियम में बिंदु शर्मा की इस विशेष प्रस्तुति को देखने के लिए बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे। उनकी भरतनाट्यम प्रस्तुति ने लोगों को मुग्ध कर दिया और बिंदु के आत्मविश्वास और श्रेष्ठ प्रस्तुति की सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। मौके पर पूर्व लोकसभा स्पीकर एवं केन्द्रीय मंत्री शिवराज पाटिल बतौर मुख्यातिथि उपस्थित थे।

इस मौके पर भरतनाट्यम अरंगेत्रम प्रस्तुतीकरण का भी आयोजन किया गया। अरंगेत्रम किसी भरनाट्यम नृत्यांगना के जीवन का एक अहम मौका होता है, जिसके लिए कई साल के अथक प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। इसके लिए पारंगत होने में कुछ दशक का समय भी लग जाता है। जब गुरु को यह विश्वास हो जाता है कि अब शिष्य अकेले प्रस्तुति में सक्षम है, तभी अरंगेत्रम का एलान होता है।

गुरु गीता चंद्रन ने इस मौके पर कहा, “किसी गुरु के लिए शिष्य की तरफ से यह सबसे बड़ा उपहार है। बिंदु ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उससे मैं बहुत खुश हूं। उनके कौशल, उनकी क्षमता और नृत्य में डूब जाने की कला ने मन मोह लिया।” बिंदु ने भी इसे अपने जीवन का विशेष पल बताया।

बिंदु को स्कूल के समय से ही भरतनाट्यम का शौक था। स्कूल स्तर पर कई प्रस्तुतियां देने और 80 के दशक में भरतनाट्यम में विशारद करने के बाद नृत्य ने उनकी शिक्षा को और निखारने में मदद की। मद्रास यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी करने के बाद उन्होंने इंदौर से फाइनेंस में एमबीए किया। इसके बाद जीवन की दिशा बदल गई। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सिटीग्रुप फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ गईं।

इसके बाद कैरियर, शादी और बच्चों में अगले दो दशक बीत गए। 2014 में उन्होंने फिर नृत्य की ओर रुख करने का मन बनाया। उसी समय एक अच्छे गुरु और प्रशिक्षण केंद्र की तलाश में वह नाट्य वृक्ष पहुंची। यहां गुरु गीता चंद्रन के प्रशिक्षण ने उन्हें नई दिशा दी। बिंदु कहती हैं, ‘मैं तैराक नहीं गोताखोर बनना चाहती हूं। मैं नृत्य की गहराई में पहुंची हूं। मैं यहां केवल एक सपना पूरा करने आई थी, लेकिन यहां संभावनाओं के अथाह द्वार खुल गए।” बिंदु ने अपनी जीवन यात्रा में पति अश्वनी के योगदान को भी सराहा।

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