स्टेम सेल तकनीक डायबिटीज व हृदय रोग के इलाज में बेहतर विकल्प
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को ‘स्टेम्सेल एक्सप्रेस’ कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय व भारतीय चिकित्सकों का कहना है कि नॉन सर्जिकल एवं मिनिमली इनवेसिव स्टेम सेल तकनीक डायबीटीज और दिल संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही है। साथ ही मुख्य धारा की मेडिकल साइंस के रूप में इसकी पहचान और स्वीकार्यता भी तेजी से बढ़ रही है। तीन दिवसीय कांफ्रेंस के पहले दिन यहां देश भर के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इसमें हिस्सा लिया।
चिकित्सकों का कहना है कि विश्व भर में रीजनरेटिव मेडिसिन का बाजार वर्ष 2021 तक 39 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह 13 अरब अमेरिकी डॉलर था। भारत में इस तरह की दवाओं का बाजार सालाना 20-25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2021 तक इसके 14.6 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं।
स्टेमजेन थेरपेटिक के सह-संस्थापक व सीईओ और स्टेमसेल एक्सप्रेस के आयोजक सचिव डॉ. प्रभु मिश्रा ने कहा, “वर्ष 2025 तक स्टेम सेल का वैश्विक बाजार 16 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, जो कि सालाना 9.2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था चूंकि अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रही है, जिसके साथ यहां डिस्पोजेबल इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या भी बढ़ रही है, ऐसे में यहां स्टेम सेल के बाजार में अधिक बढ़ोतरी का अनुमान है।”
स्टेम सेल थेरेपी में डैमेज हो चुकी कोशिकाओं के भीतर इंजेक्शन के जरिए रीजनरेटिव कोशिकाएं डाली जाती हैं जो मरीज के शरीर को प्राकृतिक तरीके से समस्या से लड़ने हेतु तैयार करती है। ये स्वस्थ्य कोशिकाओं के पुन: उत्पादन की प्रक्रिया को तेज करते हैं। ये कोशिकाएं कार्टिलेज टिश्यूए हड्डियों, मांसपेशियो, टेंडन, लिगामेंट और वर्टिब्रल डिस्क कार्टिलेज को पुनर्जीवित करने में सक्षम होती हैं।
स्टेमजेन थेरपेटिक्स रीजनरेटिव मेडिसिन और सेल्युलर थेरेपी की दिशा में एक पथ प्रदर्शक है। यह एक प्रभावशाली पहल है, जो सेल-बेस्ड थेरपेटिक्स के विकास और औद्योगीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है।