मप्र की फिजा में घुल रहा चुनावी जहर!
भोपाल, 23 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में चुनाव तो कई हो गए, मगर इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों से कई मायनों में जुदा है। संभवत: पहला ऐसा चुनाव होगा, जिसमें सांप्रदायिकता का रंग घोलने की भरपूर कोशिश हो रही है, कई बार तो ऐसे लगता है कि यह चुनाव मप्र का नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात का हो चला हो।
राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में एक सप्ताह से कम का समय बचा है, और राजनीतिक दलों के तरकश से समाज को बांटने के तीर निकलने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के कथित वीडियो से गर्माई सियासत की तपिश अब और बढ़ चली है। कमलनाथ का वीडियो राज्य के लगभग हर हिस्से में पहुंच चुका है। इस पर भाजपा भी हमले करने से नहीं चूक रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि राज्य का बड़ा हिस्सा कभी भी सांप्रदायिकता की आग में नहीं झुलसा। मालवा-निमांड इलाके में कई वर्षो से ध्रुवीकरण की कोशिशें जारी हैं, इसके लिए भाजपा के साथ कांग्रेस भी जवाबदेह है। इस बार के चुनाव में तो पूरे प्रदेश को ही इस आग में झुलसान की कोशिशें चल रही है। इसके लिए दोषी दोनों ही दल हैं। वीडियो तो पहले कमलनाथ का आया और उसे हवा देने के काम में पूरी भाजपा लग गई है।
शर्मा कहते हैं, “राजनीतिक दलों को मप्र को उत्तर प्रदेश और गुजरात समझने की भूल नहीं करनी नहीं चाहिए, राज्य की बड़ी आबादी सांप्रदायिक सौहार्द्र में भरोसा करती है, लिहाजा उन लोगों के मंसूबे पूरे नहीं होने वाले जो वोट की खातिर सांप्रदायिकता की आग को भड़काने में लगे हैं। इसका उदाहरण भोपाल और बुरहानपुर है, जहां कई विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी होने के बाद भी भाजपा के उम्मीदवार जीतते आए हैं।”
कमलनाथ के एक कथित वीडियो को दो हिस्सों में बांटकर वायरल किया गया। एक वीडियो में वह मुस्लिम समाज से मतदान तक सब कुछ सहने की बात कह रहे हैं, तो दूसरे वीडियो में मुस्लिमों से मतदान केंद्रों में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने को कह रहे हैं। इस पर कांग्रेस लगातार सफाई दे रही है। कमलनाथ ने भाजपा पर वाट्सएप और वीडियो की राजनीति करने का आरोप लगाया।
वहीं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा और सांसद जी.वी.एल. नरसिंहाराव ने कांग्रेस के कमलनाथ, नवजोत सिद्दू, सी.पी. जोशी के वीडियो का जिक्र करते हुए जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, उन्होंने तीनों नेताओं को कांग्रेस से बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली। इतना ही नहीं, कांग्रेस के किसी नेता द्वारा मध्यप्रदेश से बाहर प्रधानमंत्री की जाति और प्रधानमंत्री की मां को लेकर टिप्पणी का जिक्र भी करने से नहीं चूके।
राज्य में सियासी पारा चढ़ रहा है, सांप्रदायिकता की तपिश बढ़ रही है। चुनाव जीतने की दलों की कोशिश कहीं राज्य की फिजा में सांप्रदायिकता का जहर न घोल दे, इस बात की चिंता हर किसी को सताए जा रही है।