भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति कार्यक्रमों में संभावित त्रासदी पर चेताया
संयुक्त राष्ट्र, 21 नवंबर (आईएएनएस)| लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य (डीआरसी) में एक विद्रोही समूह के हमले में भारतीय शांति सैनिक के घायल होने के बाद भारत ने आगाह किया है कि संयुक्त राष्ट्र के मिशन कार्यक्रमों में पर्याप्त संसाधनों के बिना सैनिकों को काम करने के लिए मजबूर करना “हम सबको त्रासदी के लिए तैयार कर रहा है।”
लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य में शांति सैनिक जिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, उसका हवाला देते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को बताया, “शांतिकर्मियों की रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि बेहतरीन रणनीति का अभाव हमें त्रासदी के लिए तैयार कर रहा है।”
उन्होंने अफ्रीका में शांति मिशन कार्यक्रम को मजबूत बनाने को लेकर परिषद में हुई बहस के दौरान कहा, “हम बिना पर्याप्त संसाधनों, यहां तक कि तेजी से व सुदृढ़ संचालन के लिए सक्षम विमान सेवाओं के बिना सैनिकों को तैनात करते हैं। यह जाहिर है कि जो कार्य सौंपा गया है, वह संयुक्त राष्ट्र तैनाती के आकार और पैमाने के आधार पर अपर्याप्त है।”
पिछले हफ्ते लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य में एक विद्रोही हमले में भारतीय पुलिस का एक शांति सैनिक घायल हो गया था और ऐसे ही अलग-अलग घटनाओं में एक तंजानियाई और छह मलावी सैनिक मारे गए थे। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन संचालन के दौरान 154 शांति सैनिक मारे जा चुके हैं।
शांतिकर्मियों के सामने खड़ी समस्याओं का जिक्र करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के 500,000 वर्ग किलोमीटर केंद्रीय क्षेत्रफल और 1.1 करोड़ से ज्यादा लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र के महज चार बटालियन पर है।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब 158 प्रति वर्ग किलोमीटर पर महज एक सैनिक का होना है।
परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि
हमें अनुचित आदेश कारकों को जोड़ने का विरोध करने और इसकी प्राथमिकताओं पर ध्यान देने की जरूरत है। इससे उपलब्ध कम संसाधनों के मद्देनजर सही तरीक से संसाधनों के आवंटन में मदद मिलेगी।