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गीता चंद्रन ने देवदासी बनकर दी गुरु को श्रद्धांजलि

नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)| नाट्य वृक्ष की संस्थापक, अध्यक्ष पद्मश्री गीता चंद्रन ने सोमवार को राजधानी में अपनी गुरु स्वर्गीय स्वर्णा सरस्वती को मनमोहक नृत्य के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। कॉपरनिकस मार्ग स्थित कमानी ऑडिटोरियम में गीता चंद्रन ने तंजावुर भरतनाट्यम के देवदासी स्वरूप की प्रस्तुति देते हुए लोगों का मन मोह लिया। कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित इस प्रस्तुति में नट्टुवनर एस. शंकर, के. वेंकटेश्वरन, मनोहर बलातचंदीरेन, जी. राघवेंद्र और रजत प्रसन्ना ने सहयोगी कलाकारों की भूमिका निभाई।

केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बतौर मुख्यअतिथि कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उनके अलावा प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मान सिंह, माधवी मुद्गल आदि सहित कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।

गीता चंद्रन को तंजावुर भरतनाट्यम नृत्य उन्हें गुरु स्वर्णा सरस्वती ने सिखाया था। पारंपरिक भरतनाट्यम के सभी तत्वों को समाहित करते हुए गीता चंद्रन ने अपनी प्रस्तुति में दासी नृत्य की महक बिखेरी।

अपनी गुरु को याद करते हुए गीता चंद्रन ने बताया कि स्वर्णा सरस्वती नृत्य व संगीत के बड़े घराने से थीं। वह प्रसिद्ध गायक राजामणि अम्मल की पुत्री और प्रख्यात नृत्यांगना अमृता एतिराजा अम्मल की प्रपौत्री थीं। 1931 में 10 साल की उम्र में उन्होंने अरंगेत्रम के जरिये भरतनाट्यम प्रस्तुति के क्षेत्र में कदम रखा था। 1967 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कला के क्षेत्र में यह सबसे बड़ा सम्मान है।

गीता चंद्रन ने विश्व शौचालय दिवस (19 नवम्बर) के मौके पर एक जागरूकता अभियान की शुरूआत भी की। उन्होंने लोगों से शौचालय स्वच्छ रखने की अपील भी की। उन्होंने कहा, “स्वच्छ शौचालय आपका अधिकार है, इसी तरह आपके बाद आने वाले का भी अधिकार है कि उसे स्वच्छ शौचालय मिले।”

गीता चंद्रन के अभियान के समर्थन में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, “स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में कई शौचालय खुले हैं। आज जरूरत है लोगों को इनके प्रयोग के लिए जागरूक करने की। लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। लोगों को सफाई के लिए प्रोत्साहित करना होगा।”

 

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